इस वजह से पुराना करिश्‍मा नहीं दोहरा सकी बीजेपी, जबकि बसपा को हुआ तगड़ा फायदा तो कांग्रेस और सपा को लगा बड़ा झटका

Update: 2019-06-13 08:28 GMT

देश की जनता ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने का मौका दिया है. जबकि भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक 62 सीटें उत्‍तर प्रदेश से मिली हैं. हालांकि पिछली बार उसने 71 सीटों पर सफलता हासिल की थी. जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्‍तर प्रदेश में भाजपा का वोट प्रतिशत 42.30 से बढ़कर 49.56 हो गया है और यह उसके लिए खुशी बात है, लेकिन सूबे में सत्‍तासीन भाजपा की विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से लोकसभा चुनाव 2019 की सफलता का आकलन करें तो उसे पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में 38 सीटों पर नुकसान हुआ है. साफ है कि उसके 38 विधायक अपनी सीट पर पार्टी के प्रत्‍याशी को जीत दिलाने में नाकाम रहे हैं.

ये है विधानसभा का गणित

उत्‍तर प्रदेश में इस वक्‍त भाजपा की सरकार है और योगी आदित्‍यनाथ मुख्‍यमंत्री की जिम्‍मेदारी संभाल रहे हैं. पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी, भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह और प्रेदश अध्‍यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की जुगलबंदी ने 312 सीटों पर कामयाबी दिलाई थी, लेकिन मौजूदा लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को 274 विधानसभा सीटों पर ही विरोधियों के मुकाबले अधिक वोट मिले हैं. जबकि 38 विधायक अपने उम्मीदवारों को बढ़त नहीं दिला सके. हालांकि 30 लोकसभा क्षेत्र ऐसे भी रहे जिनके अंतर्गत आने वाली विधानसभा की किसी भी सीट पर विपक्ष का खाता नहीं खुल सका.

80 लोकसभा और 403 विधानसभा सीटें हैं यूपी में

उत्‍तर प्रदेश के 80 लोकसभा क्षेत्रों में 403 विधानसभा क्षेत्र हैं. इसमें से उन्नाव, फतेहपुर और शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्रों में छह-छह विधानसभा सीटें आती हैं तो बाकी 77 लोकसभा क्षेत्रों में पांच-पांच विधानसभा सीटें हैं.

इन क्षेत्रों में रहा भाजपा का दबदबा

इस बार भारतीय जनता पार्टी को 29 लोकसभा सीटों पर जबर्दस्‍त कामयाबी मिली और यहां उसने सभी विधानसभा सीटों पर विरोधी को पछाड़ने में सफलता हासिल की. इनमें आगरा, फतेहपुर सीकरी, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, लखनऊ, फर्रुखाबाद, झांसी, हमीरपुर, फतेहपुर, अकबरपुर, इलाहाबाद, फूलपुर, गोंडा, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, वाराणसी और बांसगांव शामिल हैं.

अपना दल का रिकॉर्ड रहा ज्‍यों का त्‍यों

यूपी में भाजपा और अपना दल का गठबंधन है. पिछली बार अपना एल (एस) ने विधानसभा चुनाव में नौ सीटें जीती थी. इस बार भी लोकसभा चुनाव में उसकी नौ विधानसभा सीटों पर बढ़त कायम रही. अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र के सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की तो रॉबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्र में उनकी पार्टी ने पांच में से चार सीटों पर दम दिखाया. आपको बता दें कि पिछली बार उसे दो लोकसभा सीटें मिली थीं और इस बार भी उसे वही कामयाबी मिली है. 

बहुजन समाज पार्टी का दिखा दम

यूपी में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्‍ट्रीय लोकदल ने महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था. बसपा सुप्रीमो मायावती का 38 में दस और अखिलेश यादव को 37 में से पांच सीटों पर कामयाबी मिली है तो अ‍जीत सिंह (5 सीट) की पार्टी का खाता भी नहीं खुला. हालांकि विधानसभा सीटों के हिसाब से देखें तो 2017 में 19 विधायक तक सीमित रहने वाली बसपा को इस बार 65 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली है. मजेदार बात ये है कि उसने बिजनौर, नगीना, लालगंज और जौनपुर लोकसभा सीटों के अंतर्गत आने वाली सभी विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है.

अखिलेश को हुआ नुकसान

2017 में समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और तत्‍कालीन सीएम अखिलेश यादव का ही किला ढहा कर भाजपा ने बाजी मारी थी. जबकि सपा के 47 ही विधायक बन सके थे. मौजूदा लोकसभा चुनाव में उसके प्रत्याशियों को कुल 45 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली. इस दौरान सपा को आजमगढ़ के तहत आने वाले सभी पांच विधानसभा सीटों पर विरोधी से अधिक वोट मिले, जहां से खुद अखिलेश मैदान में थे. वैसे 2014 में सपा के पांच सांसद बने थे और गठबंधन होने के बाद भी उसके आंकड़ा नहीं बदला है.

कांग्रेस का रहा ये हाल

सोनिया गांधी ने रायबरेली में सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की. जबकि राहुल गांधी को अमेठी में बस एक विधानसभा सीट पर जीत मिली. वहीं, भाजपा ने चार सीटों पर जीत हासिल की. कांग्रेस के अध्‍यक्ष को स्‍मृति ईरानी ने हराया है.

ये है सभी दलों की स्थिति

भाजपा ने 274 विधानसभा सीटों पर बढ़त के 62 सांसद बनाने में कामयाबी हासिल की. जबकि बसपा ने 65 विधानसभा सीटों पर बढ़त के साथ दस, सपा ने 45 विधानसभा सीटों पर बढ़त के साथ पांच, अपना दल (एस) ने 9 विधानसभा सीटों पर बढ़त के साथ दो, कांग्रेस ने 8 विधानसभा सीटों पर बढ़त के साथ एक सांसद बनाने में सफलता हासिल की है. हालांकि दो विधानसभा सीट पर बढ़त बनाने वाली जनसत्ता पार्टी का खाता नहीं खुला है.


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