है पैसे का जोर, ज़माना रिश्वत का - सूर्य प्रताप सिंह (पूर्व आईएएस)
पूर्व आईएएस अधिकारी एसपी सिंह ने येगी सरकार के मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगाया है। आज फेसबुक पर लिखी अपन पोस्ट में उन्होंने आरोप लगाया है कि लघभग सबी मंत्रियों ने ऊपर क कमाई के हिसाब किताब के लिए अलग से अधिकारी तैनात कर रखे हैं. क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन आरोपों पर अपने मंत्रियों की जांच कराने की हिम्मत जुटा पाएंगे..?
है पैसे का जोर, ज़माना रिश्वत का। उत्तर प्रदेश में 7% वाले मंत्रियों के जनसंपर्क अधिकारी जी को प्रणाम करो !
उत्तर प्रदेश में मंत्रियों के यहाँ अपनी पसंद से जनसंपर्क अधिकारी और ऑफीसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (PRO/OSD) रखने का चलन आजकल ज़ोरों पर है। सचिवालय सेवा के कर्मचारी PS या PA भी तैनात हैं, जो राजकीय सेवक हैं लेकिन मंत्रीगणों को उनपर भरोसा नहीं है। स्थायी कर्मचारी कोई गड़बड़ करता है तो उसकी एक जवाबदेही होती है। उसे ससपेंड किया जा सकता है। प्राइवेट व्यक्ति यदि सरकारी काम काज देखता है तो न केवल नियम व नैतिकता के विरुद्ध है अपितु अनियमितता करने पर उसके विरुद्ध कोई करवाई भी नहीं की जा सकती। कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी काग़ज़ पर नियुक्ति हेतु लिखापढ़ी भी नहीं है, उनका क्या करिएगा? कोई उत्तरदायित्व निर्धारण भी नहीं हो सकता।
उदाहरण के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग में बोर्ड में मंत्री जी की ख़ास एक श्रीमती शर्मा हैं। इनके यहाँ म्यूचूअल स्थानांतरण की ४०० पत्रावली रखी हैं। सौदेबाज़ी हो रही है कि रु. दो लाख दे जाओ और आदेश ले जाओ। ये हाल है, तथाकथित ईमानदार मंत्री जी के विभाग का। इसी प्रकार एक चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्री के यहाँ कोई कन्नौजिया सर हैं। वे यहाँ ऊपर वाला सभी हिसाब किताब देखते हैं। छह मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं उसमें निर्माण/आर्किटेक्ट के लिए 7% कमिशन कनौजिया जी ने फ़िक्स किया है। इसी प्रकार सड़क निर्माण विभाग में भी 7% भेंट एक PRO जी को चढ़ाओ और कोई भी ठेका पाओ। ये ईमानदारी का हिसाब किताब है।
इस प्रदेश में किसी की भी सरकार बनवा लो, हाल यही रहना है। लगभग सभी मंत्रियों के यहाँ लूट मची है। मैंने गन्ना विभाग में चीनी विक्रय घोटाला पूर्व में लिखा ही था। ऐसा लग रहा है जैसे आगे मौक़ा मिले या नहीं। सभी को श्रीयुत सुनील बंसल जी के यहाँ भी भेंट का हिसाब किताब करना होता है और अपनी जेब भी भरनी है। इस सरकार में मंत्रियों के यहाँ 7 का अंक बड़ा लोकप्रिय है। किसी भी काम का 7% कमिशन दो और काम कराओ।
जय हो। ईमानदार सरकार की। ख़ूब लूटो और ऊपर से ईमानदारी का ढिंढोरा भी पीटो। लोकतंत्र में कैसा मज़ाक़ चल रहा है। दूसरी सरकारों को बेईमान बता कर अपने को ईमानदार कहो। काम हो जाएगा। उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे। अरे, दूसरी सरकारें बेईमान थी तभी तो आपको लाए थे। और अब आपने भी भ्रष्टाचार के रिकोर्ड तोड़ दिए। जनता कहाँ जाए। 2019 के चुनाव में शायद ये सब पैसा काम न आए। लोग बहुत नाराज़ हैं। ग़लतफ़हमी का इलाज जनता के पास है।
उत्तर प्रदेश में ईमानदार मुख्यमंत्री के भ्रष्ट मंत्रियों की रिश्वतख़ोरी के बोझ के तले दम तोड़ती जनमानस की आशाएँ। दोनों हाथ बटोर, ज़माना रिश्वत का। ईमानदार सरकार, ज़माना रिश्वत का !!
(नोट: कुछ मंद बुद्धि दलाल भक्त कह रहे हैं। मुझे कोई पद नहीं मिला, इस लिए लिख रहा हूँ। चलो ऐसा ही सही। 34 वर्ष IAS में रहते हुए जैसे मेरे पास कभी पद रहा ही नहीं। जब पूर्व सरकार के भ्रष्टाचार पर लिखता/बोलता था तो बड़ा मज़ा आता था। अब आपकी बारी आयी तो बुरा लगना स्वाभाविक है। अच्छा डिफ़ेन्स है, चलो, हमें कोंग्रेसी कहो।)
पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह की फेसबुक बाल से साभार