चीनी मिल की जांच बिगाड़ेगी मायावती का खेल, क्या है इस जांच के मायने चुनावी झटका या जीतने के बाद समर्थन हासिल करने का उपाय!

बताया गया था कि मायावती के कार्यकाल में 21 चीनी मिलें बताया गया था कि औने पौने दाम में मिली भगत करके बेची गई थी. यह मुद्दा तब भी उठा था लेकिन जांच के चलते दम तोड़ता रहा है. अब एक बार फिर इस मामले ने तूल पकड़ा है. देखते है इस बार क्या गुल खिलायेगा.

Update: 2019-04-27 02:47 GMT

मायावती पर सीबीआई का शिकंजा कसना शुरू हो गया है. इस बार सीबीआई ने शुगर मिल घोटाले में FIR लिखी है. अब इस रिपोर्ट में 29 आईएएस अफसरों पर भी तलवार लटक गई है जो इन चीनी मीलों के बेचने में कहीं न कहीं सम्मिलित थे. बताया गया था कि मायावती के कार्यकाल में 21 चीनी मिलें औने पौने दाम में मिली भगत करके बेची गई थी. यह मुद्दा तब भी उठा था लेकिन जांच के चलते दम तोड़ता रहा है. अब एक बार फिर इस मामले ने तूल पकड़ा है. देखते है इस बार क्या गुल खिलायेगा. 

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ चीनी मिल बिक्री घोटाले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कराई. सीबीआई ने कहा है बसपा सरकार की त्तकालीन मुख्यमंत्री मायावती ने चीनी मिलें ओने पोन दाम में बेचकर भारी अनियमितता बरती गई है. वहीँ विरोधी दलों का कहना है कि यह सब बीजेपी के रणनित का हिस्सा है क्योंकि चुनाव चल रहे है. चुनाव के बाद यह जांच भी ठंडे बसते में चली जायेगी. 

क्या है मामला 

चीनी निगम ने वर्ष 2010-11 में 21 चीनी मिलें बेची थीं. नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड तथा गिरियाशो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज (कुशीनगर और हरदोई) इकाई की मिलें खरीदने के लिए आवेदन किया था. दोनों कंपनियों को नीलामी प्रक्रिया के अगले चरण के लिए योग्य घोषित कर दिया था. जांच में खुलासा हुआ कि कंपनियों ने काल्पनिक बैलेंस शीट, बैंकों का फर्जी लेन-देन दिखाकर कीमती चीनी मिलों को औने-पौने दामों में खरीद लिया. बिक्री प्रक्रिया के दौरान किसी अधिकारी ने भी कंपनियों की ओर से दाखिल किए गए दस्तावेज की पड़ताल नहीं की.

सीबीआई ने एक FIR और 6 PE दर्ज की है. मायावती सरकार में 21 सरकारी चीनी मिलों का विनिवेश हुआ था. बीच चुनाव में मायावती पर सीबीआई का शिकंजा कसा. बुआ भतीजे पर सीबीआई की निगाह टेढ़ी हो गई है. अखिलेश के बाद अब मायावती को भी लपेटने की तैयारी चल रही है. मायावती सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2010-11 में सात बंद चीनी मिलों को बेचने में हुए घोटाले में सीबीआई लखनऊ की ऐंटी करप्शन ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की है. इसके अलावा 14 अन्य चीनी मिलों की बिक्री को लेकर 6 अलग-अलग पीई (आरंभिक जांच) दर्ज की गई हैं. यूपी सरकार ने 12 अप्रैल 2018 को 21 चीनी मिलों की बिक्री में हुई गड़बड़ियों के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. चीनी मिलों को बेचने में हुए घोटाले के कारण प्रदेश सरकार को 1,179 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ था. 

सीबीआई ने इस मामले में दिल्ली के रोहिणी निवासी राकेश शर्मा, सुमन शर्मा, गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद, मोहम्मद जावेद, बेहट निवासी मोहम्मद नसीम अहमद और मोहम्मद वाजिद को नामजद किया है. इनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और कंपनी ऐक्ट 1956 की धारा 629 (ए) के तहत मामला दर्ज हुआ है. इससे पहले राज्य चीनी निगम लिमिटेड ने चीनी मिलें खरीदने वाली दो फर्जी कंपनियों के खिलाफ नौ नवंबर 2017 को गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी. यह रिपोर्ट सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन विंग की जांच के बाद दर्ज हुई थी.

मायावती के इस निर्णय प्रक्रिया में 29 आईएएस अफसर शामिल थे. अब सीबीआई जांच में ये 29 आईएएस भी अफसर नपेंगे. इनमे कई अफसर अभी केंद्र में सचिव हैं. जबकि 2 रिटायर हो चुके और 4 प्रमुख सचिव हैं. बाकी 21 जिलों के तत्कालीन डीएम भी फंसेंगे जिन्होंने चीनी मिल बेचने में अहम भूमिका थी. CBI को जांच का दायरा भी बढ़ाना पड़ेगा. शासन स्तर पर 8 IAS अफसर भी शामिल थे. शासन-जिलों में मिलाकर कुल 29 IAS अफसर इस पुरे मामले में शामिल है. इन अधिकारीयों में ज्यादातर शशांक शेखर सिंह के करीबी अफसर थे. शशांक शेखर सिंह तब मुख्यमंत्री नंबर टू माने जाते थे. बिना शशांक शेखर की मर्जी के पंचम तल और कालिदास मार्ग पर कोई भी पत्ता तक नहीं हिलता था. चूँकि शशांक शेखर अब इस दुनिया में नहीं रहे.  तब शशांक शेखर कैबिनेट सचिव हुआ करते थे. बिना उनकी सहमती के प्रदेश में किसी भी ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर कोई भी कार्य नहीं होता था. 


यह बात पहले भी कई बार उठ चुकी है लेकिन सीबीआई ने रिपोर्ट पहली बार दर्ज की है. इस मामले में यूपी की 21 सरकारी चीनी मीलों को प्राइवेट सिंडिकेट को बेच दिया गया. इसमें   1,179  करोड़ रूपये के घोटाले की उम्मीद जताई गई है. बताया गया था कि मायावती के कार्यकाल में 21 चीनी मिलें औने पौने दाम में मिली भगत करके बेची गई थी. यह मुद्दा तब भी उठा था लेकिन जांच के चलते दम तोड़ता रहा है. अब एक बार फिर इस मामले ने तूल पकड़ा है. देखते है इस बार क्या गुल खिलायेगा. 

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