चैनलों पर छाया प्रियंका का लखनऊ दौरा, लेकिन असली पता तो तब चलेगा जब होगा ये काम!

Update: 2019-02-11 11:43 GMT

11 फरवरी को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा का लखनऊ दौरा दिन भर न्यूज चैनलों पर छाया रहा। प्रियंका के भाई और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जिस मीडिया को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से डरा हुआ बताते हैं उसी मीडिया ने 11 फरवरी को प्रियंका वाड्रा को सिर पर उठाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सभी न्यूज चैनल वालों ने अपने तेजतर्रार संवाददाताओं और एंकरों को लखनऊ की सड़कों पर उतार दिया, ताकि प्रियंका का हर एक्शन लाइव दिखाया जा सके।


मीडिया से इतनी उम्मीद तो शायद प्रियंका गांधी को भी नहीं होगी। दिल्ली से रवाना होने से पहले प्रियंका के दौरे का लखनऊ से लाइन कवरेज हो गया। असल में मीडिया को भी पता है कि अब राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तसीगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं और लोकसभा चुनाव में प्रचार पर कांगे्रस भी पानी की तर पैसा बहाएगी। राहुल गांधी भी यह समझ लें कि मीडिया किसी से डरता नहीं है। चूंकि राज्यों में लगातार भाजपा की सरकारें बन रही थीं,इसलिए नरेन्द्र मोदी को ही दिखाने का लालच था, लेकिन अब जब कांग्रेस के पास भी तीन मजबूत राज्य आ गए हैं तो फिर मीडिया को प्रियंका गांधी से भी कोई परहेज नहीं है।


पुरानी कहावत है कि जहां गुड़ होता है वहां मक्खियां आ ही जाती हैं। अब तो कांग्रेस के पास गुड़ के साथ-साथ चीनी भी आ गई है। इसलिए मीडिया तो इर्द-गिर्द घूमेगा ही। जहां तक प्रियंका गांधी के लखनऊ दौरे का सवाल है तो सफलता का पता लोकसभा चुनाव के परिणाम पर ही चलेगा। भाजपा को हराने के लिए यूपी में मायावती और अखिलेश यादव ने पहले ही गठबंधन कर लिया है। यूपी की जंग में अब प्रियंका गांधी भी कूद पड़ी हैं। यूपी में मृतप्रायः कांग्रेस में प्रियंका गांधी की एंट्री ने कितनी जान डाल पाएगी यह आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि यूपी में प्रियंका फैक्टर भाजपा से ज्यादा मायावती अखिलेश के गठबंधन को नुकसान पहुंचाएगा। हो सकता है कि माया-अखिलेश के संयुक्त उम्मीदवार के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार की मजबूती की वजह से कई क्षेत्रों में भाजपा को फायदा मिले।


फिलहाल इतना जरूर है कि प्रियंका के कूदने से यूपी का चुनावी माहौल रौचक हो गया है। देखना होगा कि बहन मायावती और प्रियंका गांधी एक-दूसरे पर किस तरह हमला करती हैं। अखिलेश से भी ज्यादा मायावती के वोटों को खतरा है क्योंकि मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी का जन्म ही कांग्रेस के विरोध से हुआ था। अब यदि बहनजी को अपने परंपरागत दलित वोटों का खतरा दिखेगा तो प्रियंका की खैर नहीं है। मायावती पहले भी कांग्रेस पर हमला करती रही हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है तो नरेन्द्र मोदी और अमितशाह को इस बार 72 सीटों के आंकड़े को बनाए रखना मुश्किल होगा। फिलहाल मोदी शाह की जोड़ी पूरी तरह बाबा योगी आदित्यनाथ पर ही निर्भर है।

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