देश में संघ लोक सेवा आयोग के तहत आयोजित सिविल सर्विसेज परीक्षा में मेरिट लिस्ट तय करने को लेकर केंद्र के सुझाव पर विरोध शुरू हो गया है. मामले में समाजवादी पार्टी के बाद कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों में विरोध के सुर उठने लगे हैं. इस संबंध में समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव ने सरकार के इस कदम को अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ करार दिया और निंदा की. इसके बाद अब राहुल गांधी ने इसे केंद्रीय सेवा में आरएसएस के पसंद वाले अधिकारियों की नियुक्ति की कोशिश करार दिया है.
सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने मंगलवार को ट्वीट किया कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अभ्यर्थियों के कैडर एवं सेवा आवंटन नियमों में संशेधन करने के केंद्र सरकार के फैसले की मैं दृढ़ता से निंदा करता हूं. यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सर्विस की परीक्षा पहले से ही सर्वग्राही है. इसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार द्वारा विस्तृत पैमाने पर समग्र मूल्यांकन किया जाता है. वर्तमान प्रणाली अच्छी तरह से चल रही है और इसमें पक्षधरता की संभावना कम है. सरकार के इस फैसले से डर और दबाव में रह रहे एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक वर्ग के मन में पक्षपात होने की आशंका है. मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि पूर्व की व्यवस्था, जिसमें सर्व वर्गों का विश्वास है, उसे बनाए रखें.
— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) May 21, 2018
इसके बाद इस विषय पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी विरोध का ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि छात्रों उठो, आपका भविष्य खतरे में है. आरएसएस आपका हक छीनना चाहता है. यूपीएससी को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री की योजना है कि केंद्रीय सेवा में आरएसएस के पसंद वाले अधिकारियों की नियुक्ति हो. इसके लिए एग्जाम रैंकिंग की बजाए व्यक्तिपरक मानदंड को आधार बनाकर मेरिट लिस्ट को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है.
Rise up students, your future is at risk! RSS wants what's rightfully yours. The letter below reveals the PM's plan to appoint officers of RSS's choice into the Central Services, by manipulating the merit list using subjective criteria, instead of exam rankings. #ByeByeUPSC pic.twitter.com/VSElwErKqe
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 22, 2018
बता दें प्रधानमंत्री कार्यालय ने संघ लोक सेवा आयोग को एक पत्र जारी किया है. इसमें ये सुझाव दिया गया है कि मौजूदा सिविल सर्विसेज परीक्षा में कैडर एवं सेवा आवंटन की जो प्रक्रिया है, उसमें बदलाव किया जाए. इसके तहत प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के बाद फाउंडेशन कोर्स के अंकों को भी अभ्यर्थी की मेरिट में शामिल किया जाए. उसके बाद मेरिट के आधार पर कैडर एवं सेवा का आवंटन किया जाए. पत्र में ये भी कहा गया है कि इस प्रक्रिया को इसी सत्र से लागू कर दिया जाए.