डीजीपी की जाति से तय होगा यूपी के चीफ सेक्रेटरी का भविष्य

पांच महीने से चीफ सेक्रेटरी का स्थायी न हो पाना भी है कारण इसी जाति के खेल का

Update: 2020-01-29 10:27 GMT

लखनऊ। इसे देश के सबसे बड़े राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां नौकरशाही की सबसे बड़ी कुर्सी जाति के आधार पर ही तय होती है। इस बार भी ऐसा ही होने जा रहा है। यह तय माना जा रहा है कि चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी डीजीपी की जाति देखकर ही तय होगी। यदि हितेश अवस्थी यूपी के डीजीपी बनते हैं तो आरके तिवारी और अवनीश अवस्थी की इस कुर्सी पर बैठने की इच्छा अधूरी रह जाएगी और यदि डीजीपी की कुर्सी पर किसी गैर ब्राह्मïण की तैनाती हुई तो यह तय है कि यूपी का स्थायी चीफ सेक्रेटरी आरके तिवारी या अवनीश अवस्थी में से ही कोई एक होगा। हालांकि अपवादस्वरूप कुछ ऐसे भी हुए है जिनकी तैनाती जाति के आधार नहीं हुई पर अधिकांश की जाति के आधार पर हुई।

यह भी है तय कि डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी दोनों में से एक होगा ब्राह्मïण

कोई नहीं करेगा स्वीकार पर हकीकत है कि यूपी में जाति देखकर होते हैं तय डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी

पांच महीने से चीफ सेक्रेटरी का स्थायी न हो पाना भी है कारण इसी जाति के खेल का 

यूपी में लगभग तेरह प्रतिशत ब्राह्मïण मतदाता हैं जो इस समय बहुत खुश नजर नहीं आ रहे हैं लिहाजा तय माना जा रहा है कि डीजीपी या चीफ सेक्रेटरी में से एक ब्राह्मïण होगा। एक इंटरव्यू में ब्राह्मïणों की नाराजगी को लेकर पूछे गए सवाल में खुद सीएम योगी कह चुके हैं कि पांच प्रमुख पदों में से चार पर ब्राह्मïण और एक पर ठाकुर हैं। जाहिर है नौकरशाही की तैनाती इस बार भी जातीय गुणा-भाग के आधार पर होने जा रही है।

यूपी के डीजीपी के नाम पर अगले तीन दिन में मुहर लग जानी है। वरिष्ठïता के क्रम में सबसे ऊपर हितेश अवस्थी का नाम है। उनकी छवि बेहद ईमानदार और कड़े फैसले लेने वाले अधिकारी की है। सीबीआई का सालों का अनुभव होने के कारण उन्हें बेहतर पुलिसिंग के लिए उपयुक्त भी माना जा रहा है। पर सबसे बड़ी समस्या यह है कि अगर वे डीजीपी बनते हैं तो चीफ सेक्रेटरी पद पर आरके तिवारी और अवनीश अवस्थी की दावेदारी समाप्त हो जाएगी।

अवनीश अवस्थी सीएम योगी के सबसे करीबी अफसर हैं। सूचना, गृह और यूपीडा जैसे विभाग उनके पास हैं। उनकी सेवाकाल के अभी दो वर्ष बाकी हैं। नौकरशाही में इस बात की आम चर्चा थी कि यूपी के चीफ सेक्रेटरी आरके तिवारी को स्थायी इसलिए नहीं किया जा रहा क्योंकि फरवरी में नए डीजीपी को देखकर उनकी तैनाती कर दी जाएगी। दरअसल, डीजीपी की नियुक्ति को संघ लोक सेवा आयोग हरी झंडी देता है। वहां पर यूपी सरकार का ज्यादा दखल नहीं माना जाता है। दूसरा नौकरशाही और राजनैतिक गलियारों में यह आम चर्चा है कि चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी के नामों को लेकर यूपी दरबार और दिल्ली दरबार के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। ऐसे में डीजीपी के नाम को हरी झंडी मिलने के बाद ही यूपी के चीफ सेक्रेटरी का नाम तय होगा और यह तय है कि वह जाति के आधार पर ही होगा।

ऐसा कभी हो नहीं सकता। तजुर्बा और योग्यता के बेस पर श्रेठ पदों पर चयन किया जाता है। जाति आधारित मानक नहीं होना चाहिए।

विक्रम सिंह,पूर्व डीजीपी

आईएएस और आईपीएस अफसर किसी जाति या धर्म के आधार पर चयनित नहीं होते। अगर इस तरह कभी भी इनका चयन किया गया तो यह एक खतरनाक संकेत होगा।

अमिताभ ठाकुर ,आईजी, यूपी 

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