गाजियाबाद और मेरठ जेल में मचा हड़कंप, कैदियों को फ्री में मिल रहा एड्स!

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी की योगी सरकार को एड्स के बढ़ते मामले पर नोटिस जारी किया है.

Update: 2018-03-09 10:10 GMT

उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों के एचआईवी पॉजिटिव होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. ताजा मामला गाजियाबाद और मेरठ से है. गाजियाबाद के डासना मसूरी स्थित जिला कारागार में 27 एचआईवी पॉजिटिव कैदी पाए गए हैं. वहीं मेरठ जेल में 10 बंदियों को एड्स की पुष्टि हुई है, जिसमें से दो कैदी एक माह पूर्व ही एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं. अभी दो दिन पहले ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने यूपी सरकार को नोटिस भेज रिपोर्ट तलब किया था. 
गाजियाबाद के डासना जेल में कैदियों को एड्स की पुष्टि के बाद चिकित्सा अधिकारियों ने जेल के प्रत्येक कैदी की एचआईवी जांच शुरू कराई है. फिलहाल जेल में 5 हजार कैदी हैं. जांच के दौरान पाए गए एचआईवी पॉजिटिव कैदियों में 1 महिला कैदी और 26 पुरुष कैदी हैं. पिछले साल की गई जांच में भी 49 कैदियों की एचआईवी पुष्टि हुई थी.
दूसरी तरफ मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में पिछले एक महीने में दो बंदियों के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है. जेल में अब तक 10 कैदियों को एड्स की पुष्टि हो चुकी है. जबकि चार बंदियों पहले से ही एचआईवी पॉजिटिव हैं. दरअसल गोरखपुर में मामला सामने आने के बाद सरकार ने सूबे के सभी जेलों में सर्वे करवाया था. सीएमओ ने मामले को गंभीरता से लिया है और एआरटी सेंटर से सभी मरीजों को दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं. सीएमओ राजकुमार के मुताबिक जिला कारागार में 10 बंदियों में एचआईवी एड्स की पुष्टि हुई है. महीने में दो बार जेल में कैंप लगाकर सभी बंदियों की जांच कराई जा रही है. सीएमओ मान रहे हैं कि इनमें कुछ बंदी पहले से एचआईवी पॉजिटिव थे.
दरअसल गोरखपुर में पिछले दिनों 22 कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे. इसके बाद प्रदेश भर की सभी 70 जिलों में बंदियों का टेस्ट कराया गया. इसमें मेरठ, गोरखपुर सहित बरेली, इलाहाबाद, लखनऊ, फैजाबाद, आगरा, वाराणसी और कानपुर समेत कई जिलों में 256 कैदी बंदियों को एड्स की बीमारी पाई गई. जिसको लेकर मेरठ में भी बंदियों की जांच की गई तो मेरठ जेल में 10 बंदियों को इसकी पुष्टि हुई. गाज़ियाबाद में भी 27 कैदियों में एचआईवी की पुष्टि हुई है.
NHRC ने 6 हफ्ते में मांगी है रिपोर्ट
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी की योगी सरकार को एड्स के बढ़ते मामले पर नोटिस जारी किया है. कैदियों में बढ़ते एड्स के मामले को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी के मुख्य सचिव और जेल के आईजी को नोटिस जारी करते हुए विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने सरकार से कहा है कि मामले में 6 दिन के अंदर रिपोर्ट दाखिल करें और यह भी बताएं कि सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए हैं. 
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि इस संबंध में, अगर मीडिया खबर सही है, तो उत्तर प्रदेश की जेलों की बदहाली के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है. कैदियों में एचआईवी संक्रमण कैसे फैला, इसकी वजह का पता लगाने के लिए तत्काल जांच की आवश्यकता है. इसके साथ ही एहतियात के तौर पर तत्काल उपाय भी जरूरी है. जिससे अन्य कैदी एचआईवी से संक्रमित न होने पाएं. संक्रमित कैदियों को आवश्यक चिकित्सकीय उपचार मुहैया कराई जाए.
28 फरवरी को आई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जेल प्रशासन ने दावा किया है कि बीमारी जेल के भीतर नहीं फैली, कैदी जब जेल में आए थे, तभी संक्रमण के शिकार थे. उनमें से अधिकांश मादक पदार्थों से जुड़े कानून के तहत जेल की सजा पाए थे. पिछले साल अक्टूबर में उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की पहल पर एचआईवी का पता लगाने के लिए कैदिया का ब्लड टेस्ट कराया गया था. जिसमें 22 कैदियों के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी.
बता दें, गोरखपुर जिला जेल में 22 कैदियों के एचआईवी पॉजिटिव मिलने से जेल प्रशासन और कैदियों में हड़कंप मच गया था. आईजी जेल के निर्देश पर जिला कारागार गोरखपुर में 1500 कैदियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया था. जिसमें 22 कैदियों के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी. जेल में बंद विचाराधीन कैदियों में ही सबसे ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे.

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