"मिर्ज़ापुर" वैसा बिल्कुल भी नहीं है जैसा कालीन भैया दिखा रहे हैं
अब सोचिए की जिस कालीन भैया को हम मजे मजे के लिए देख रहे हैं वो कैसे एक जिले की खूबसूरती और उसके इतिहास की धारणा को लोगों के मन में गलत तरीके से पेश कर रहा है।;
उत्तरप्रदेश जिले के पूर्वांचल में खूबसूरत पहाड़ों, झरनों, जंगलों के बीच और गंगा नदी के तट के किनारे बसा एक शहर है मिर्ज़ापुर। मैं वहीं का वासी हूं, थाना है चुनार ( वहीं चंद्रकांता का चुनारगढ़ किला) और ग्राम है रामगढ़। मौजूदा समय में एक पत्रकार के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूँ। हमारे जिले को आज तक पीतल नगरी, मां विंध्यवासिनी की नगरी के रूप में जाना जाता है. लेकिन इसकी संस्कृति,इसकी खूबसूरती इसकी वो पहचान नहीं बना पाई, जितनी कालीन भैया के मिर्जापुर ने।
मिर्ज़ापुर वेब सीरीज में कालीन भैया, मुन्ना, गुड्डू पंडित के काल्पनिक पात्रों को जिस तरीके दिखाया गया है और लोगों के मन में जिस तरीके से मिर्जापुर, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया समेत पूरे पूर्वांचल की इमेज स्थापित की जा रही है, वो काफी खतरनाक है। लोग अब इस शहर को अपराध के शहर के रूप में जान रहे हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
यकीं मानिए मैं पंजाब के जालंधर शहर में अभी रहता हूं और सुबह जब चाय की दुकान पर खड़ा था, तभी एक लोकल पंजाबी लड़का आता है और चाय वाले से कहता है कि आज वो मिर्जापुर वेब सीरीज देखेगा, उत्सुकता वश मैंने पूछ लिया कि ऐसा क्या है इसमें, उसने बोला की "पाजी इतनी बेहतरीन तरीके से गालियां दी हैं न इसमें की मजा आ जाता है, दूसरी बात उसने बताई कि इसे देखने से मिर्ज़ापुर और यूपी के दूसरे जिलों के बारे में पता चलता है कि वो कैसे हैं ( यानी की वहां अपराध कैसा है)।"
सौचिए की कैसे नैरेटिव सेट किया जा रहा है, मैंने उस लड़के से पूछा कि कभी मिर्जापुर जाने का मौका मिला तो जाओगे, उसने साफ मना कर दिया कि "ना पाजी ना, मैनूं न जाना ओत्थे, बड़ा क्राइम हैं वहां"
अब सोचिए की जिस कालीन भैया को हम मजे मजे के लिए देख रहे हैं वो कैसे एक जिले की खूबसूरती और उसके इतिहास की धारणा को लोगों के मन में गलत तरीके से पेश कर रहा है।
शायद ही किसी को मालूम को की मिर्ज़ापुर और इसकी संस्कृति के उपर 1500 से अधिक किताबें लिखी गई हैं। जो इस जिले के पीतल के व्यवसाय, यहां की खेती, चुनार का किला, यहां मिलने वाले बलुआ पत्थर को मिले जीआई टैग समेत ढेरों अच्छी बातों को बताते हैं, लेकिन यह चीजें किसी को नहीं पता होंगी। न ही मिर्जापुर के उपर लिखी गई 1500 किताबों में से 5 का नाम किसी को मालूम होगा।
किंतु आज पंकज त्रिपाठी उर्फ कालीन भैया के द्वारा दर्शाए गए एक काल्पनिक कहानी मात्र से पूरे देश में मिर्जापुर का ऐसी छवि बनी है कि लोग इस नगरी को अपराध की नगरी, कट्टे के नगरी, अपहरण की नगरी, वर्चस्व की नगरी के रूप में देख रहे हैं। जबकि ऐसा न तो है, नहीं कभी होगा।
हमारे जिले के लोग खेती में काफी अच्छे, उद्दोग में काफी अच्छे, नौकरी में काफी अच्छे हैं, लेकिन यहां अपराध केवल नाममात्र का है जैसा की आमतौर पर हर जगह होता है, इसलिए आप मिर्ज़ापुर वेबसीरीज देखें जरूर लेकिन प्यारे से, खूबसूरत से जिले के बारे में वैसी धारणा न बनाएं जैसी इस सीरीज में दिखाई गई है, आप इस देश में कहीं से भी हों आप अगर मिर्जापुर देखना चाहते हैं तो मैं आपकी मदद करूंगा, आपकी धारणा बदल जाएगी।
#Mirzapur Pankaj Tripathi