शिक्षामित्रों की आज हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, अधिकारियों ने दाखिल किया जवाब, वकील साहब ने बताई पूरी बात
आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में शिक्षामित्रों की याचिका की सुनवाई हुई;
उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण मोड़ पर है। आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में शिक्षामित्रों की याचिका की सुनवाई हुई, जिसमें उत्तर-प्रदेश सरकार एवं शिक्षा विभाग ने अपना जवाब दाखिल किया।
सुनवाई के दौरान शिक्षामित्रों के वकील ने पूरी बात रखी — मानदेय वृद्धि, नियमितीकरण और अब तक लंबित मुद्दों की स्थिति सामने आई। अदालत ने भी स्पष्ट किया कि यदि सरकार निर्धारित अवधि में आवश्यक कदम नहीं उठाती है तो आगे की कार्रवाई होगी।
इस वीडियो में हम जानेंगे:
आज की सुनवाई में क्या मुख्य बिंदु सामने आए?
सरकार ने क्या जवाब दिया और उसकी क्या मान-रूपताएं थीं?
शिक्षामित्रों के लिए आगे का रास्ता क्या संभव है?
अदालत ने क्या निर्देश दिए हैं और अगली सुनवाई कब तय हुई है?
🔔 यदि आप इस मुद्दे से जुड़े हैं या शिक्षा क्षेत्र में बदलाव देखना चाहते हैं, तो ये वीडियो अंत तक देखें।
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आज, जब यह मामला सुनवाई के लिए आया, तो अपर मुख्य सचिव, बेसिक विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ की ओर से एक अनुपालन हलफनामा दाखिल किया गया, जिसके पैरा 7 में कहा गया है कि मानदेय वृद्धि संबंधी मामले पर रिट कोर्ट के निर्देशानुसार गठित समिति द्वारा विचार किया गया और 21.10.2025 को समिति द्वारा एक निर्णय लिया गया, जिसमें समिति ने पाया कि मानदेय वृद्धि के मामले पर समिति विचार नहीं कर सकती और इसके लिए मंत्रिमंडल की स्वीकृति आवश्यक है। उक्त तथ्य के मद्देनजर, समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है।
सीएपीएल संख्या 7048/2024
समिति की बैठक के कार्यवृत्त को अनुपालन शपथ-पत्र के साथ अनुलग्नक 2 के रूप में संलग्न किया गया है।
उक्त तथ्यों के मद्देनजर, न्यायालय की अवमानना अधिनियम की धारा 12 के तहत हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है।
अवमानना आवेदन खारिज किया जाता है और इसे रिकार्ड में दर्ज किया जाता है।
राज्य सरकार को इस न्यायालय के निर्देशानुसार समिति की सिफारिश पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है।