आशुतोष त्रिपाठी
वारणसी। 'हर खेत को पानी एवं हर पेट को रोटी' की उपलब्धता सुनिश्चित कराना प्रत्येक राष्ट्र एवं राज्य का दायित्व है। स्वतंत्रता के बाद भारत में इस विचारधारा को स्थापित करने के लिए सरकारी एवं गैर सरकारी प्रयासो के माध्यम से काफी बल दिया गया, लेकिन आज भी कृृषकों एवं मजदूरो को वह स्थान एवं अधिकार उन्हें नही मिल पाया, जिसके वे हकदार थे।
भारत में इस भेद की समाप्ति के लिए पं0 दीनदयाल ने सर्वप्रथम आर्थिक लोकतंत्र की वकालत की एवं अन्त्योदय की बात कह कर असमानता की खाईंयो को पाटने का सार्थक प्रयास किया। पं0 दीनदयाल का आर्थिक दर्शन अन्तिम व्यक्ति तक मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ आर्थिक असमानता की बढती र्खाइंयो को कम करने की बात करता है एवं प्रत्येक व्यक्ति तक रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की भी बात करता है।
उक्त बाते पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी के आर्थिक सलाहकार प्रो0 जगदीश शेट्टीगर ने पं0 दीनदयाल उपाध्याय चेयर, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित "पं0 दीनदयाल का आर्थिक लोकतंत्र: चुनौतिया एवं संभावनाऐं' विषयक आयोजित विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता कहा।दिनांक 12 जनवरी 2018, वारणसी। 'हर खेत को पानी एवं हर पेट को रोटी' की उपलब्धता सुनिश्चित कराना प्रत्येक राष्ट्र एवं राज्य का दायित्व है। स्वतंत्रता के बाद भारत में इस विचारधारा को स्थापित करने के लिए सरकारी एवं गैर सरकारी प्रयासो के माध्यम से काफी बल दिया गया, लेकिन आज भी कृृषकों एवं मजदूरो को वह स्थान एवं अधिकार उन्हें नहीं मिल पाया, जिसके वे हकदार थे।
भारत में इस भेद की समाप्ति के लिए पं0 दीनदयाल ने सर्वप्रथम आर्थिक लोकतंत्र की वकालत की एवं अन्त्योदय की बात कह कर असमानता की खाईंयो को पाटने का सार्थक प्रयास किया। पं0 दीनदयाल का आर्थिक दर्शन अन्तिम व्यक्ति तक मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ आर्थिक असमानता की बढती र्खाइंयो को कम करने की बात करता है एवं प्रत्येक व्यक्ति तक रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की भी बात करता है।
उक्त बाते पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी के आर्थिक सलाहकार प्रो0 जगदीश शेट््टीगर ने पं0 दीनदयाल उपाध्याय चेयर, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित 'पं0 दीनदयाल का आर्थिक लोकतंत्र: चुनौतिया एवं संभावनाऐं" विषयक आयोजित विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता कहा।
प्रो0 जगदीश ने आगे कहा कि आज के विकास नीति का सामाजिक प्रभाव का परिणाम या तो 'धन का अभाव है अथवा धन का प्रभाव' दोनों ही राष्ट्र को हीनता और अंधकार की ओर ले जाते हैं। यदि इसके पीछे का हम कारण देखें तो व्यक्ति की सम्पन्नता एवं उच्चतम उपभोग की आकांक्षा है। पं0 दीनदयाल ने अपने आर्थिक लोकतंत्र की वैचारिकी के माध्यम से अधिकतम सामाजिक सुख प्राप्ति का मार्ग तो बताया ही साथ ही साथ इस बात पर भी बल दिया कि आर्थिक लोकतंत्र व्यक्ति को इसकी दक्षता एवं योग्यता के अनुरुप अंतिम व्यक्ति को रोजगार की प्राप्ति हो।
इधर के छः दशको में हम देखें तो भारत आर्थिक विकास की तरफ बडे स्तर पर कदम बढ़ाया है। उपभोकतावादी संस्कृृति का विकास भी बड़े स्तर पर हुआ है। परिणाम स्वरुप एक तरफ जहाॅ एक तबका काफी संपन्न हुआ वही दूसरा तबका मौलिक आवश्यकताओं से वंचित भी रहा। वस्तुतः आर्थिक वंचना को समाप्त करने की बात पं0 दीनदयाल का आर्थिक लोकतंत्र ही करता है।
विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहें प्रो0 जयकांत तिवारी, संकाय प्रमुख, सामाजिक विज्ञान संकाय, काहिविवि ने कहा कि आज पूरी दुनिया वैश्विकरण के दौर से गुजर रही है। जहाॅ पूरा विश्व एक गांव के रुप में परिलक्षित हुआ है। परिणाम स्वरुप रोजगार की अपार संभावनाये बढी है, लेकिन दक्षता के अभाव में एक बडा तबका इससे नकारात्मक रुप में प्रभावित हुआ है क्योकि वैश्विकरण को दोधारी तलवार के रुप में संज्ञा प्राप्त है, अर्थात जहाॅ एक तबका इससे एक तबका लाभान्वित हुआ, तो दुसरा तबका गरीबी की तरफ बढता गया। परिणामस्वरुप अमीरी एवं गरीबी की खाई इतनी बढ गयी की इसको पाटना शायद मुश्किल दिखता है, लेकिन पं0 दीनदयाल के आर्थिक दर्शन को हम देखें तो इनका दर्शन अमीरी एवं गरीबी की बढती खाईयों को पाटने का एक विकल्प प्रस्तुत करता है।
पं0 दीनदयाल के आर्थिक दर्शन को व्यवहारिक धरातल पर क्रियान्वित किया जाय तो समाज का अंतिम व्यक्ति तक इससे लाभान्वित होगा।
विशेष व्याख्यान में विमर्श के रुप में प्रो0 अजित कुमार पाण्डेय, प्रो0 अशोक कौल, प्रो0 एम0के0 मिश्रा, प्रो0 राकेश पाण्डेय ने भी पं0 दीनदयाल के आर्थिक लोकतंत्र की क्रियान्वयन एवं उसके महत्व पर अपना महत्वपूर्ण विचार रखा।
अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम संयोजक प्रो0 श्याम कार्तिक मिश्र, पं0 दीनदयाल चेयर, सामाजिक विज्ञान संकाय, काहिविवि ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो0 प्रवेश भारद्वाज ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डा0 अनुप मिश्र ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रुप से प्रो0 आर आर झा, प्रो0 मृृत्युन्यज मिश्रा, प्रो0 बिन्दा परांजपे, प्रो0 अभिमन्यु सिंह, प्रो0 सीबी झा, प्रो0 श्वेता प्रसाद, डा0 विमल लहरी एवं प्रो0 संजय श्रीवास्तव की उपस्थिति रही।