BHU :भावी वैद्यों को व्यक्तित्व विकास व चरित्र निर्माण का मिला गुरुमंत्र

Update: 2018-02-11 13:46 GMT
आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी: आयुर्वेद के उत्थान के लिए तत्पर संगठन विश्व आयुर्वेद परिषद् एवं विकृति विज्ञान विभाग, आयुर्वेद संकाय,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वाधान में स्नातक आयुष छात्रों के लिए 7 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला का शुभारम्भ गत 5 फरवरी को प्रो वी के शुक्ल, निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान एवं प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी, संकाय प्रमुख, आयुर्वेद संकाय ने किया था. 
इस कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों से आये कई विशेषज्ञों ने अपने उद्बोधन तथा व्यावहारिक क्रियाकलापों के माध्यम से भावी वैद्यों को उनके करियर में आगे बढ़ने और व्यक्तित्व निखारने के गुरुमंत्र दिए. इस कार्यशाला में आयुर्वेद के वैश्वीकरण, अनुक्त द्रव्य, ऑनलाइन सूचना, तनाव प्रबंधन, गो उत्पाद, ग्लोबल वार्मिंग, कम्युनिकेशन स्किल, वेब डिजाइनिंग,चिकित्सा में कानूनी दांव, प्राण प्रत्यागमन, जलौकावाचारण,महामना की दृष्टि से आयुर्वेद, प्राचीन भारत का गौरव और आयुर्वेद का महत्व, अग्नि एवं कोष्ठ, अग्निकर्म, आयुर्वेद में औद्योगिकीकरण आदि विषयों के विशेषज्ञों ने छात्रों को अवगत कराया. साथ ही आयुर्वेद के विशेषज्ञों ने कुछ विशेष आयुर्वेदिक सिद्धांतों को प्रतिभागियों को हृदयंगम करवाया.



 इस कार्यशाला में विभिन्न प्रदेशों से आये 42 छात्रों ने प्रतिभाग किया|इन छात्रों को विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे- प्रेस कांफ्रेंस,प्रतिभा परीक्षा आदि के माध्यम से निखारा गया|हर प्रतिभागी ने प्रत्येक दिन स्वयं मंच का संचालन किया तथा विश्व आयुर्वेद परिषद् व विकृति विज्ञान विभाग को धन्यवाद दिया .

अंतिम दिन के मुख्य अतिथि के रूप में विख्यात वैद्य प्रो. शिव कुमार मिश्र ने बोलते हुए कहा कि व्यक्तित्व विकास तो बालक के जन्म से ही प्रारम्भ हो जाता है, ऐसी कार्यशालायें उनमें उनमें और निखार लाती हैं. प्रख्यात समाज सेवी श्रीमान राम नारायण जी ने भी उद्बोधन से प्रेरित किया| इस अवसर पर डॉ. जे एस त्रिपाठी, डॉ के के द्विवेदी, डॉ पी एस ब्यादगी, डॉ अनुराग पाण्डेय, डॉ प्रियदर्शिनी तिवारी,डॉ. अजय पाण्डेय,डॉ शैलेन्द्र सिंह, डॉ.अनुभा श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे . कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ अनुराग पाण्डेय, सचिव,विद्यार्थी प्रकोष्ठ,विश्व आयुर्वेद परिषद्, काशी प्रान्त ने कार्यशाला का सारांश प्रदान किया तथा डॉ. प्रियदर्शिनी तिवारी ने सभी को धन्यवाद दिया और भविष्य में ऐसे अन्य कार्यक्रमों के आयोजन के लिए आश्वस्त किया.

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