PM के संसदीय क्षेत्र से उठ रही मांग: बची रहे धरोहर,बनी रहे काशी

वक्ताओं ने कहा कि हर काशीवासी का यह फर्ज बनता है कि धरोहर बचाने के लिये वे आंदोलन को अपना समर्थन दें ताकि काशी के स्वरूप को बदलने की कोशिश नाकाम की जा सके।;

Update: 2018-04-01 13:11 GMT
आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी। पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 'बची रहे धरोहर, बनी रहे काशी' के आंदोलन का सफर रविवार को शहर की तरफ मुड़ गया। अभी तक यह आंदोलन विश्वनाथ परिक्षेत्र की गलियों में ही चल रहा था। आजाद पार्क, लहुराबीर में शाम को हुई सभा में वक्ताओं ने साफतौर पर कही कि हमें क्योटो नहीं, अपनी काशी चाहिये।
धरोहर बचाओ समिति इस योजना के खिलाफ आंदोलन चला रही है। समिति के इस आंदोलन को अब राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन खुलकर समर्थन देने लगे हैं। सभा में वक्ताओं ने कहा कि काशी अजन्मी है और इसकी व्याख्या कर पाना संभव नहीं है। दुखद है कि आज काशी की संस्कृति पर सीधा हमला हो रहा है। आज खतरा सिर्फ काशी पर ही नहीं, बल्कि पूरे देश पर है और हमें काशी और देश दोनों को बचाना है। यह काशी की साझा संस्कृति को तोड़ने का भी कुचक्र है। काशी की संस्कृति और धरोहर नष्ट करने की केशिश चल रही है, जिसे काशी के लोग कामयाब नहीं होने देंगे।
वक्ताओं ने कहा कि हर काशीवासी का यह फर्ज बनता है कि धरोहर बचाने के लिये वे आंदोलन को अपना समर्थन दें ताकि काशी के स्वरूप को बदलने की कोशिश नाकाम की जा सके। कहा कि जिस परिक्षेत्र को नष्ट किया जा रहा है, वही काशी है। जब उसका स्वरूप नष्ट कर दिया गया तो फिर काशी कहां रह जाएगी।
सभा में जागृति राही, कृष्ण कुमार शर्मा, राजेंद्र तिवारी, राजनाथ तिवारी, रामधीरज जी, विनय राय मुन्ना, डां आनंद तिवारी, संजीव सिंह, डां मुनीजा रफी, रितु पांडेय, पल्लवी वर्मा, मोगन सिंह, दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव, रविकांत यादव, जंत्रलेश्वर यादव, अब्दुल्ला खां, कुंवर सुरेश सिंह, एजाज अहमद, रहमत अली, रजनीश राय, वंदना सिंह, दिगवंत पांडेय, रेखा जायसवाल, महालक्ष्मी शुक्ला, आलोक त्रिपाठी, धर्मेंद्र ठाकुर आदि लोग शामिल थे।

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