हांड- कंपाती ठण्ड में राजपथ से जनपथ तक दौड़े-योगी
देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता के शीर्ष पर विराजमान योगी आदित्यनाथ ने जनता के लिए दरकिनार किया ,शायद यह राजपीठ पर हावी धर्मपीठ का ही असर रहा कि मुख्यमंत्री ने जनता जनार्दन के लिए मिसाल कायम करते हुए यह कष्ट भी स्वीकार कर लिया ।;
वाराणसी : खून जमा देने वाली ऐसी ठंडी रात जब लिहाफ से सर निकालना भी मुनासिब ना हो ,तब इस हांड कंपाती ठण्ड में योगी ने राजपथ की जगरमगर छोड़ करके जनपथ की दौड़ लगाई । इसके लिए तो ना तो शहर से 20 किलोमीटर की दूरी आड़े आई और ना ही ये शीत रात ।
देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता के शीर्ष पर विराजमान योगी आदित्यनाथ ने जनता के लिए दरकिनार किया ,शायद यह राजपीठ पर हावी धर्मपीठ का ही असर रहा कि मुख्यमंत्री ने जनता जनार्दन के लिए मिसाल कायम करते हुए यह कष्ट भी स्वीकार कर लिया ।
यह काशी ही नहीं शायद प्रदेश के इतिहास में पहली बार था जब किसी मुख्यमंत्री ने हांड कंपाती ठण्ड में कोहरे से पटी सड़कों पर जाकर देर रात योजनाओं का हाल जाना ।वह सब कुछ भी समझा जो अक्सर ब्यूरोक्रेसी की मोटी फाइलों के नीचे दब-कुचल कर दम तोड़ जाता है ,और जनता की सुख सुविधाओं के लिए बनी योजनाओं का रुख मुड़ जाता है । इस सोच ने उन्हें दिनभर की भागदौड़ के बाद भी ऑन- दा- स्पॉट निरीक्षण के लिए विवश किया । इसने जहाँ अफसरों को पसीने-पसीने किया वहीं जनता को सुकून का पल दिया ।
योगी का काफिला पांडेयपुर-पहड़िया-आशापुर होते हुए दीनापुर की ओर बढ़ा तो मुख्यमंत्री की इस सोच ने उन किसानों को मुलाक़ात कर उन्हें हौसला दिया जो लम्बे समय से अपना हक़ पाने केलिए डंडे से हाँके जा रहे थे । इसबार भी उन्हें छिपाने भगाने की कोशिश हुई ,लेकिन राजपीठ पर विराजमान संत मन ने उनके मर्म को समझा और सबकुछ भांप लिया ।फिर योगी के पारे ने सातवें आसमान का रुख किया तो अफसरों को तो काटो तो खून नहीं था । इस लापरवाही के लिए उन्हें जमकर फटकार मिली तो किसानों के लिए दुलार उमड़ा । शांत मन से पूरी स्थिति को समझने के साथ ही एसटीपी के लिए ली गयी उनकी जमीनों का मुआवजा तत्काल देने की ताकीद भी की ।
गुरूवार को उनके रात्रिकालीन दौरे में यह सब भी साफ़ नजर आया की आमतौर पर राजनेताओं को सत्ताशीर्ष पाने के बाद लगने वाला रोग, इस योगी के पास तक नहीं फटक पाया । जी हाँ लोकतंत्र की परिभाषा के सच्चे अर्थों ने साकार रूप जरूर पाया ।
उन्होंने चौकाघाट-लहरतारा ओवरब्रिज और मंडुआडीह आरओबी का हाल देखा तो इससे पहले भारतमाता मंदिर में माँ भारती को नमन करना भी नहीं भूले । वह सब भी नहीं विसरा सके जो उन्होंने मुख्यमंत्री बनने से पहले कई बार के काशी दौरे में गोदौलिया-दशाश्वमेघ घाट रुट पर जाम के झाम के रूप में झेला था । इसका ही असर रहा कि सुबह से दोपहर बाद तक आजमगढ़ और फिर वनारस सर्किट हाउस में इन्वेस्टमेंट के लिहाज से कनाडाई संसदीय दल से मुलाक़ात के बाद भी ऊर्जा का लेबल आबाद रहा ।
रात ग्यारह बजे उन्होंने माँ गंगा और बाबा दरबार तक की राह आसान बनाने के लिए अपनी सोच से जुडी योजना का हाल देखने के लिहाज से चितरंजन पार्क का रुख किया ।
अपने ढाई घंटे के दौरे में योगी आदित्यनाथ ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया ही साथ ही जनता का कष्ट दरकिनार कर प्रोटोकाली काफिले में फर्राटे भरने वाले नेताओं को सन्देश भी दिया । अफसरों को भी समीक्षा बैठक से कुछ घंटे पहले अपनी कार्यप्रणाली के प्रति संकेत दे दिया । दशाश्वमेघ में एक-एक बिंदुओं पर नजर गड़ाने के साथ चितरंजन पार्क रैन बसेरे में सोये-बैठे बेसहारों के साथ ही काशीवासियों का भी दिल जीत लिया ।