साहित्य प्रेम के चलते नौकरी से त्यागपत्र दिया,साहित्य मेरे ह्रदय की धड़कन है- डॉ अंजना सिंह सेंगर
आज ऐसी ही एक तेजी से उभरती हुयी काव्य की बहुमुखी प्रतिभा की धनी कवयित्री से रूबरू करवाते हैं। जिनको पढ़ने के बाद उनके शब्द और बिम्ब पाठक को लम्बे समय तक घेरे रहते हैं।;
भारत की पावन धरती में एक से बढ़ कर एक महान साहित्यकारों ने जन्म लिया है।. यहां के लेखक, कलाकार, कवि, मूर्तिकार, गीतकार आदि लोगों ने ही तो यहाँ की संस्कृति और इतिहास को आज तक अपनी रचनाओं द्वारा जीवित रखा है।
साहित्यकारों की बात होती है तो तुरंत हमारे जहन में रवींद्रनाथ टैगोर, मुंशी प्रेम चंद्र, सुमित्रानंदन पंत और निराला जी जैसे महान साहित्यकारों के नाम आ जाते हैं, लेकिन भारतीय कवयित्रियों के नाम याद करने पर हमारा दिमाग डगमगाने लगता है। जबकि भारत के साहित्य खजाने में कई काबिल और महान कवयित्रियाँ भी रहीं हैं और आज भी हैं। जिनकी कविताओं ने पाठकों के दिलों में जगह बनाई हैं। लेकिन सवाल वही हम इनमें से कितनो से परचित हैं ? या किन कवित्रियों के शब्द हम तक पहुंच पा रहे हैं ? तो आईए आपको आज ऐसी ही एक तेजी से उभरती हुयी काव्य की बहुमुखी प्रतिभा की धनी कवयित्री से रूबरू करवाते हैं। जिनको पढ़ने के बाद उनके शब्द और बिम्ब पाठक को लम्बे समय तक घेरे रहते हैं। आधुनिक हिंदी साहित्य के माथे की चमकती हुयी बिंदी बनने की ओर अग्रसर कवयित्री डॉ0 अंजना सिंह सेंगर से खास मुलाक़ात के अंश -----
सवाल - आप का जन्म कब और कहां हुआ ?
जवाब - मेरा जन्म ग्राम लिटावली, ज़िला-जालौन (उत्तर प्रदेश) में हुआ।
सवाल - आप के माता -पिता कौन हैं और वे क्या करते थे उस समय ?
जवाब - मेरे पिता जी का नाम श्री एम. एस. सेंगर है और माता का वेद सेंगर। पिता जी सेना में थे। अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं और माता जी गृहिणी हैं।
सवाल - क्या आप को याद है कि आप ने प्रथम लेखन कब किया था ?
जवाब - सृजन, संतान की तरह होता है। जिस तरह हम अपने बच्चों की जन्मतिथि याद रखते हैं, उसी प्रकार यह भी याद रहता है कि अमुक रचना कब लिखी थी। पहली कविता तो ठीक उसी तरह याद रहती है, जैसे पहला प्यार। मैंने पहली कविता तब लिखी थी, जब चौथी क्लास में थी। सन 1980 में।
सवाल - किस से प्रेरित हो कर आप ने पहली बार लिखा और क्या लिखा था ?
जवाब - मेरे नाना जी देश -भक्त और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। वे मुझे अक्सर देश -समाज की नेक बातें बताया करते थे। उन्हीं से प्रेरित हो कर मैंने एक बाल -कविता लिखी थी ----
'नाना यदि मैं कोयल होती, सबको मीठे गीत सुनाती,
सच कहती यदि दीपक होती, अंधियारे को दूर भगाती।
सवाल- आप के लिए साहित्य क्या है ?
जवाब- मेरे लिए साहित्य मेरे दिल की धड़कन है। साहित्य नहीं तो मैं नहीं। यह मेरे लिए साधना है, पूजा है।
सवाल- आप ने लेखन को व्यवस्थित रूप कब से प्रदान किया ?
जवाब- ज्यादा समय नहीं हुआ। 2017 में पहले का लिखा हुआ एकत्र किया और निरंतर लिखना आरंभ किया।
सवाल- जब आप को विद्यार्थी जीवन से साहित्य से इतनी रुचि रही है तो आप ने उस समय से क्यों नहीं इसमें उड़ान भरी ?
जवाब - तब मैंने अपना कॅरियर बनाना उचित समझा। प्रतियोगी परीक्षा पास की और नौकरी की, पारिवारिक दायित्व निभाया। जब सब कुछ ठीक हो गया, तब साहित्य के लिए समर्पित हुई।
सवाल- आप का लेखन जीवन के किस-किस दौर से गुजरा है ?
जवाब- कई दौर से गुजरा। बचपन में लिखा और जब कुछ बड़ी हुई तो पढ़ने में मन लगाया। कॉलेज के दौर में एक प्रेम- विषयक कविता लिखी-'तुम सपने में क्यों आते हो ?' इसके बाद ठाना कि कुछ बनना है, जीवन में कुछ करना है। भविष्य बनाने की चिंता और तन्मयता में लेखन पीछे छूट गया। नौकरी लगने के बाद 1992 में हिंदी दिवस के अवसर पर फिर शुरू हुआ। इसके बाद पुनः सिलसिला चल पड़ा। इसके बाद विवाह होने पर फिर लेखन बंद हुआ। ऐसा लगा कि छूट ही जाएगा, क्योंकि जिम्मेदारियां बढ़ गई थीं, लेकिन मेरे जीवनसाथी श्री सी. बी. सिंह ने हर कदम पर ने मेरा हौसला बढ़ाया। लेखन को संजीवनी मिल गई और मैं देश, समाज की विसंगतियों और मानवीय संवेदनाओं पर भी लिखने लगी।
सवाल- आप को साहित्य के किन रसों में लिखना अधिक पसंद है और आप का पसंदीदा रस कौन सा है ?
जवाब- मुझे श्रृंगार और वीर रस में लिखना अधिक पसंद है। शांत रस में भी कुछ भक्तिमय रचनाएं की हैं। पसंदीदा रस श्रृंगार है।
सवाल- आप को सर्वाधिक कौन से कवि पसंद रहे और क्यों ?
जवाब- मुझे निराला सर्वाधिक पसंद हैं। घोर विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने उत्कृष्ट सृजन किया। जवानी में पत्नी वियोग। कुछ साल बाद पुत्री का भी निधन हो गया। इसके बाद भी वे टूट कर बिखरे नहीं, तभी तो उन्हें ' महा प्राण' कहा गया।
सवाल- आप की नज़र में आज के दौर में लेखन से कौन सी विधा पीछे छूटती जा रही है ?
जवाब- मंचीय नाट्य-लेखन कम हो रहा है आज के दौर में। सिनेमा और धारावाहिकों की बाढ़ के कारण नाट्य -विधा पीछे छूटती जा रही है।
सवाल- आप के जीवन का पहला काव्य पाठ कब और कहां हुआ ?
जवाब- मेरा पहला काव्य पाठ विद्यार्थी जीवन में इलाहाबाद में हुआ।
सवाल- अभी तक का कोई यादगार काव्य पाठ आप का ?
जवाब- पिछले साल 2017 में मुंबई में हुआ। 27 सितम्बर को कार्यक्रम आयोजित हुआ था। तब मुझे 'सारस्वत सम्मान' भी दिया गया था।
सवाल– आप भारत सरकार के कस्टम विभाग में आप कार्यरत रही हैं, लेकिन समय से पहले ही त्यागपत्र दे दिया, आखिर ऐसा किन कारणों से किया आप ने ?
जवाब- घर -परिवार और नौकरी की जिम्मेदारियों के साथ लेखन नहीं हो पा रहा था, अपने साहित्य प्रेम के चलते नौकरी से त्यागपत्र देना उचित समझा।
सवाल- आप के जीवनसाथी एक प्रशासनिक अधिकारी हैं। उनके क्या विचार रहते हैं आप की काव्य रुचि को लेकर ?
जवाब- मेरे पति प्रगतिशील विचार के हैं। वे मेरी काव्य रुचि का पूरा ख्याल रखते हैं। उसे पुष्पित -पल्लवित कर रहे हैं।
सवाल- आज का भारत युवाओं का भारत है तो युवाओं के लिए अपने काव्य विचार किस प्रकार के हैं ?
जवाब- युवा किसी भी समाज और देश की रीढ़ होता है। मैंने युवाओं के लिए प्रेरणास्पद रचनाएं लिखी हैं। युवक- युवतियां अपनी शक्ति का उपयोग रचना के अनुसार कर सकते है।