रेत में आकृति की खोज: दिखाया दर्द, जगाई चेतना

रेत की आकृति की खोज में दिखाया दर्द और जगाई चेतना;

Update: 2018-01-20 02:24 GMT
आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी।वाराणसी के गंगा घाट तो हमेशा से ही जीवंत है पर अब गंगा के उस पार रेत भी जीवंत नजर आ रहे है क्योंकि हर साल की तरह इस बार भी गुरु राम छाटपार शिल्पन्यास की ओर से आधुनिक मूर्ति शिल्पी गुरु राम छाटपार के जन्मदिन पर "रेत में आकृति की खोज" का आयोजन हुआ। जिसमे करीब 5 सौ युवा कलाकारों ने रेत पर संवेदनाओं को आकार दिया। 



 दिखाया दर्द, जगाई चेतना 

कलाकारों को अपनी कलाकृति बनाने की स्वतंत्रता थी। बनारस के अलग- अलग संस्थाओं और विश्विद्यालयों से आए कलाकारों की टीम ने पूरी तन्मयता के साथ अपनी कलाकृति को रूप दिया। ज्यादातर आकृतियां दुनिया के दर्द पर आधारित थीं तो कुछ भ्रष्टाचार पर। किसी ने तीन तलाक को दर्शाया तो किसी ने रेल हादसे को उकेरा, तो किसी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के चारा घोटाले को आकृति के जरिए साझा किया।



 "बचेगी नहीं तो पढ़ेगी क्या" की आकृति बना कर कलाकारों ने जनचेतना को जगाने का अच्छा प्रयास किया। दूसरी तरफ बेरोजगारी के चलते पढ़े-लिखे नौजवानों के दर्द को दिखाने वाली आकृति ने हर किसी को सोचने को मजबूर कर दिया। पर्यावरण संरक्षण के साथ, गौ रक्षा के लिए भी सन्देश दिया गया। 



 


कार्यक्रम में प्रमुख भूमिका निभाने वाले मदन लाल के अनुसार आयोजन में शामिल होने वाले सभी कलाकारों को पुरस्कृत किया गया।

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