BJP में क्यों शामिल हुईं मुलायम की बहू अपर्णा यादव, जानिए इसके पीछे की वजह

अपर्णा यादव बीजेपी में ऐसे समय पर शामिल हुई हैं, जब यूपी में विधासभा चुनावों की तारीखों की घोषणा हो चुकी है.

Update: 2022-01-19 12:07 GMT

नई दिल्ली. यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले सपा (SP) परिवार में बीजेपी में बड़ी सेंध मारी है. बुधवार को मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव बीजेपी (BJP) में शामिल हो गई हैं. यह सपा (SP) के लिए चुनाव से पहले बड़ा झटका माना जा रहा है. अपर्णा का बीजेपी (BJP) में शामिल होने के बाद सपा पर किस प्रकार सियासी असर होगा, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है. लेकिन परिवार में इस तरह की टूट से परिवार की छवि पर गहरा असर होगा. अपर्णा का यह कदम अखिलेश को छवि की लड़ाई को पीछे जरूर धकेल देगा.

चुनाव से ठीक पहले अपर्णा BJP में शामिल

अपर्णा यादव (Aparna Yadav) बीजेपी (BJP) में ऐसे समय पर शामिल हुई हैं, जब यूपी में विधासभा चुनावों की तारीखों की घोषणा हो चुकी है. चुनाव के लिए मतदान होने में कुछ ही दिन शेष बचे हैं. इससे पहले योगी सरकार से 3 तीन मंत्रियों ने इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी ज्वाइन की थीं. उस वक्त से सपा का कुनबा और मजबूत होने लगा था. बीजेपी के कई विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था.

16 साल पहले हुए समझौते पर चर्चा शुरू

अब मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) के बीजेपी (BJP) में शामिल होने के बाद सपा और अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हालांकि अखिलेश ने अपर्णा के बीजेपी (BJP) ज्वाइन करने पर उन्हें बधाई दिया था और कहा कि मैं खुश हूँ, समाजवादी विचार धारा का विस्तार हो रहा है. लेकिन अपर्णा के बीजेपी में जाने के बाद घर की लड़ाई बाहर सामने आ गई है. अपर्णा के बीजेपी (BJP) में शामिल होने के बाद अब एक बार फिर से परिवार को एक रखने के लिए 16-17 साल पहले हुए समझौते चर्चा फिर से शुरू हो गई है.

अखिलेश इस वजह से पिता से थे नाराज

बता दें कि मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के परिवार में एंट्री के बाद से ही परिवार में जंग शुरू हो गई थीं. उस समय अखिलेश अपने पिता से ही बगावत कर दी थीं. उनसे अखिलेश बेहद नाराज रहने लगे थे. लेकिन पिता और पुत्र के बीच की दूरियों को कम करने की जिम्मेदारी अमर सिंह ने निभाई. उन्होंने साधना यादव को परिवार में न सिर्फ जगह दिलाई, अखिलेश और मुलायम के बीच की दूरी कम भी करा दिया.

16 साल पहले यह हुआ था समझौता

उस वक्त समझौते हुआ था कि मुलायम की राजनीतिक विरासत को अखिलेश यादव संभालेंगे, जबकि मुलायम की दूसरी पत्नी के बेटे प्रतीक यादव कभी भी राजनीति में नहीं आयेंगे. उस समय जितनी प्रापर्टी थीं, उसे भी दोनों भाईयों में बराबर बांटा गया था. प्रतीक यादव हमेशा यहीं कहते कि वह राजनीति में नहीं आयेंगे. लेकिन अपर्णा के भविष्य के सवाल पर, वह कहते कि इसका फैसला नेताजी और अपर्णा खुद कर सकती हैं.

अपर्णा 2017 में हारी थीं चुनाव

गौरतलब है कि मुलायम सिंह बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) एक पत्रकार की बेटी हैं, उन्हें हमेशा से राजनीतिक महत्वाकांक्षा रही है. इसी महत्वाकांक्षा के चलते अपर्णा यादव को 2017 मुलायम ने समाजवादी पार्टी से टिकट दिलवाया था, लेकिन वह चुनाव हार गई थीं.

अपर्णा के BJP में शामिल होने की वजह?

इस बार के विधानसभा चुनाव में सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट न देने का फैसला किया है. राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाली अपर्णा यादव को यह फैसला काफी परेशान करने वाला था. इसी वजह से वह भाजपा के संपर्क में आई और बुधवार को वह बीजेपी में शामिल हो गई. अपर्णा यादव (Aparna Yadav) 2017 में यूपी में योगी सरकार बनने के बाद कई बार मुख्यमंत्री से मुलाकात की. राम मंदिर में चंदा देने वालों को सपा मुखिया ने चंदाजीवी कहा था, जबकि अपर्णा यादव ने 11 लाख रुपये राम मंदिर के निर्माण चंदा दिया था.

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