हाई कोर्ट ने ममता सरकार को लगाई फटकार, दो समुदायों के बीच भेदभाव मत करो

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन मामले में बुधवार (20 सितंबर) को कलकत्‍ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदेश सरकार के रवैये पर सवाल उठाया।

Update: 2017-09-20 12:20 GMT

कोलकाता: दुर्गा प्रतिमा विसर्जन मामले में बुधवार (20 सितंबर) को कलकत्‍ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदेश सरकार के रवैये पर सवाल उठाया। कोर्ट कहा कि आखिर दो समुदाय एक साथ त्योहार क्यों नहीं मना सकते हैं? कोर्ट ने आगे कहा कि आखिर राज्य सरकार दो समुदायों को लेकर अंतर क्यों पैदा कर रही है? उन्हें सौहार्द के साथ जीने दो, उनके बीच में कोई लकीर मत खींचो, उन्हें साथ में जीने दो।

अदालत ने ममता बनर्जी सरकार से पूछा कि 'दोनों समुदाय एक साथ त्‍योहार क्‍यों नहीं मना सकते?' अदालत ने कहा, "जब आप (राज्‍य सरकार) इस बात पर अडिग हैं कि राज्‍य में सांप्रदायिक सद्भाव है तो आप दोनों के बीच सांप्रदायिक फर्क क्‍यों कर रहे हैं। उन्‍हें भाईचारे से रहने दीजिए। उनके बीच में कोई रेखा मत खींचिए। उन्‍हें साथ रहने दीजिए।"         

पिछले महीने ममता बनर्जी की सरकार ने आदेश दिया गया था कि शाम छह बजे के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा का विजर्सन नहीं किया जा सकेगा। ऐसा इसलिए कहा गया था क्योंकि तीस सितंबर को दुर्गा पूजा है और एक अक्टूबर को मोहर्रम। बीजेपी ने इसका खुलकर विरोध किया था। लेकिन अब राज्य सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट में साफ कर दिया है कि रात दस बजे तक मूर्ति विजर्सन किया जा सकेगा। एक अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन पर रोक है, लेकिन दो को फिर से इसकी इजाजत है।
पिछले साल भी ममता बनर्जी के इसी तरह के आदेश पर मामला कोर्ट में गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगते हुए कहा था कि ये तुष्टीकरण की नीति है और राजनीति को धर्म से न जोड़े। कोर्ट ने पिछली साल ये भी कहा था कि 1982 और 1983 में दशमी और मुहर्रम इसी तरह एक दिन आगे पीछे पड़ा था तब तो कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी।

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