ज्योतिष

पूरे विश्व में पितृ मोक्ष के लिए जाने जाने वाले गया पर केंद्र भी दे विशेष ध्यान, इसी माह हो रहा पितृ पक्ष आरंभ। सीता माता ने भी किया था गया में पिंडदान

Shiv Kumar Mishra
10 Sep 2023 10:25 AM GMT
पूरे विश्व में पितृ मोक्ष के लिए जाने जाने वाले गया पर केंद्र भी दे विशेष ध्यान, इसी माह हो रहा पितृ पक्ष आरंभ। सीता माता ने भी किया था गया में पिंडदान
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The center should also pay special attention to Gaya, which is known for salvation of ancestors all over the world.

सनातन धर्म में पितृ के मोक्ष के लिए गया को श्रेष्ठ धार्मिक स्थानों में माना जाता है। मान्यता है की पितृ पक्ष में पितृ को मोक्ष के लिए भारत से ही नहीं विदेशों से भी लाखों लोग गया आते है। प्रचलित कथाओं के अनुसार सीता माता ने भी अयोध्या नरेश दशरथ का भी यहीं पिंडदान किया था। बिहार का प्रमुख शहर गया (Gaya) को ज्ञान एवं मोक्ष की भूमि कहा जाता है। हर साल लाखों की संख्या में लोग अपने पितरों के मुक्ति और मोक्ष के कामना के लिए गया में पिंडदान करते हैं।

यहां साल के हर समय भारत समेत पूरी दुनिया से लोग अपने पितरों के मुक्ति के लिए श्राद्ध करने आते हैं। पर अश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक पितृ पक्ष जिसे महालया पक्ष भी कहा जाता है।इस समय पिंडदान करना सबसे उत्तम माना गया है,इस वक्त किया गया पिंडदान से पितरों की मोक्ष की कामना पूरी होती है। मगर गया के महत्व के अनुसार वहां विकास नहीं हुआ। फल्गू नदी में पानी की समस्या को लेकर दो वर्ष पूर्व नीतीश कुमार ने कृत्रिम नदी स्थापित की थी। गया से बारह किमी बोध गया होने से वहां वर्ष भर विदेशियों का आवागमन बना रहता है।

नीतीश ने इसी माह शुरू होने वाले श्राद्ध पक्ष को देखते हुए कल ही बाईपास पर बिपार्ड में भवन का उद्घाटन, सीताकुंड में सीता पथ का उद्घाटन, विष्णुपद मंदिर के मुख्य द्वार पर बने प्याऊ से गंगाजल की आपूर्ति का लोकार्पण, संक्रामक अस्पताल परिसर में 120 करोड़ रुपए की लागत से निर्माण होने वाला 1080 बेड वाला गया जी धर्मशाला का शिलान्यास, बोधगया के बीटीएमसी भवन का उद्घाटन किया। मगर गया के महत्व को देखते हुए यहां केंद्र सरकार को भी आगे आना चाहिए। दरअसल गया में श्राद्ध पक्ष में मुक्त केंद्र बिंदु विष्णु पथ है। मगर स्टेशन से लेकर यहां तक कोई चार से पांच किमी वाहनों के आगमन पर रोक है। दूर दराज से आने वाले लोगों को ठहरने व आवागमन में परेशानी होती है।

पिण्ड दान भी पंद्रह दिनों में पृथक पृथक स्थानों पर होते है। जिनकी दूरी भी बीस किमी तक होती है। यातायात सुविधा सहजता और उचित दामों पर सुलभ नहीं होती। सफाई व्यवस्था माकूल नही। जहां पिंड दान कराए जाते है। वहां पूजा के लिए बैठने का समुचित स्थान नहीं होना, खान पान की माकूल व्यवस्था का अभाव लाखो लोगों की मौजूदगी से और अव्यवस्थित हो जाता है। कुल मिलाकर केंद्र सरकार को यहां के विकास के लिए, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक रोड मैप तैयार करना होगा। जिस में पूजा स्थलों पर व्यापक बैठने के स्थान, ठहरने और भोजन की व्यवस्था के लिए बाहरी क्षेत्र में उचित व्यवस्था, वाहनों के उचित और सस्ती सुलभता, पूजा सामग्री के स्थानों का निर्धरण होना चाहिए। उचित यह होगा की जिस तरह वाराणसी, उज्जैन में कैरिडोर बना वैसे ही केंद्र सरकार कोरिडोर के रूप में गया को विकसित करे।

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