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बुराई पर अच्छाई के विजय की प्रतीक विजयदशमी के पावन अवसर पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने यह कविता लिख कर भारत यात्रा में शामिल कार्यकर्ताओं और बदलाव के अभियान में जुटे हजारों युवाओं के अंदर जोश, उमंग और उत्साह का संचार कर दिया।
"चलो आज हम रावण मारें/ चलो आज हम लंका जारें/
घर, स्कूल, खेत चौबारे/ आज बन रहे लंका सारे/
देखो अपने बाहर रावण/ पहचानों भीतर के रावण/
एक अकेली सिया बेचारी/ बीस भुजा, दस सिर के रावण/
नोंच रहे हैं जिस्म हमारा/ लूट रहे हैं कोमल बचपन/
कहां राम? हनुमान कहां हो? भारत मां की शान कहां हो?
छोड़ो सुख-सुविधा की अयोध्या/ राम कथा के नाटक छोड़ो/
तुम्हीं राम, हनुमान तुम्हीं हो/ चलो हवाओं का रुख मोड़ो/
चलो आज हम रावण मारें/ चलो आज हम लंका जारें।"
बुराई पर अच्छाई के विजय की प्रतीक विजयदशमी के पावन अवसर पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने यह कविता लिख कर भारत यात्रा में शामिल कार्यकर्ताओं और बदलाव के अभियान में जुटे हजारों युवाओं के अंदर जोश, उमंग और उत्साह का संचार कर दिया। वे भारत यात्रा के जरिए स्कूल, कालेज आदि में जनसभाओं के माध्यम से युवाओं को बाल हिंसा के खिलाफ उठ खड़े होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। श्री सत्यार्थी युवाओं को संबोधित करते हुए हमेशा यह कहते हैं, "आपमें से हर कोई एक चैंपियन है। आप सभी में एक नायक बसता है, जो बदलाव लाने का माद्दा रखता है। अपने आसपास कोई नायक न तलाशें, बल्कि खुद अपना नायक बनें।" जाहिर है ऐसे में यह कविता उनके अंदर छिपे नायक को झकझोर कर बाहर निकालेगी।
"सुरक्षित बचपन-सुरक्षित भारत" के निर्माण के सपने को साकार करने में जुटे भारत यात्रा के यात्रियों के लिए विशेष रूप से संबोधित यह कविता उन्हें देश को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने को प्रेरित करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखती। कविता का मर्म यही है कि जिस रावण का आज हम पुतला जला रहे हैं, दरअसल वह रावण तो हमारे आसपास ही जीवित रूप में मौजूद है। जरूरत तो इस रावण के वध करने की है। रावण तो हमारे अंदर भी है जो मौका मिलते ही मासूमियत और निश्छलता के प्रतीक बच्चों को तबाह कर जाता है। रावण कभी भी हुआ हो, लेकिन उसका जो वध और संहार करता है वही राम और हनुमान कहलाता है। इसलिए आज जरूरत है मासूम बच्चों के जीवन को दर-बदर कर देने वाले असली और जिंदा रावण को जलाने की, न कि रावण के पुतले को। और इसके लिए हममें से ही किसी को राम बनना होगा, तो किसी को हनुमान।
आज पाप और अधर्म के प्रतीक रावण वध के दिन बिहार के समस्तीपुर में भारत यात्रियों ने बाल हिंसा के खिलाफ जन-जागरुकता की अलख जगाई। यात्रा को लेकर यहां काफी उत्साह का माहौल देखा गया। सबसे पहले यहां एक जनसभा का आयोजन किया गया। जनसभा के बाद विशाल रैली निकाली गई। बच्चों के हित के लिए स्थानीय लोगों ने कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
समस्तीपुर के टाउन हॉल में भारत यात्रा का कार्यक्रम सबसे पहले जनसभा से आरंभ हुआ। जनसभा को समस्तीपुर के जिलाधीश श्री प्रणब कुमार, जिला बाल संरक्षण अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार, वरिष्ठ जिला उप समाहर्ता श्री नवीन सिंह, श्रम अधीक्षक श्री अनिल शर्मा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, बाल संरक्षण आयोग के अधिकारी श्री तेजपाल सिंह, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की सुश्री सम्पूर्णा बोहरा, बचपन बचाओ आंदोलन के दिलीप कुमार गिरि और बाल हिंसा के शिकार रह चुके सुनील और रमेश ने भी संबोधित किया। इन सभी वक्ताओं ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन द्वारा निकाली जा रही भारत यात्रा को एक ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि बच्चों के अधिकारों को लेकर पूरी दुनिया और देश में ऐसा जन-आंदोलन आजतक नहीं छेड़ा गया है। उन्होंने इसके लिए नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी के सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत बनाने के सपने पर गर्व भी जताया। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार आज देश में महामारी का रूप ले चुकी हैं और इसलिए हमारे जैसे संवेदनशील और जागरुक लोगों का पहला कर्तव्य बनता है कि हम बचपन को, उसकी कोमलता को और उसकी मासूमियत को बचाएं। हमें इसके लिए अपने आसपास के लोगों को जागरुक करना होगा और हमें भारत को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाना होगा। सभी वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि अब हमें बाल अपराधों के खिलाफ चुप्पी और उदासीनता को खत्म करना ही होगा।
इस अवसर पर स्कूल की बच्चियों ने बाल दुर्व्यापार के खिलाफ एक नाटक का भी मंचन किया। नाटक को लोगों ने खूब सराहा। समस्तीपुर के टाउन हॉल से एक लम्बी रैली भी निकाली गई, जो सबसे पहले सर्किट हाउस पहुंची और उसके बाद फिर कचहरी। रैली में विभिन्न स्कूलों के बच्चों, उनके अभिभावकों, युवाओं और महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। रैली में लोगों ने बाल हिंसा के खिलाफ जोरदार नारे लगाएं। रैली की विशेषता यह रही कि इसमें बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए कई बच्चों की खास भागीदारी रही।
कन्याकुमारी से 11 सितंबर, 2017 को शुरू हुई भारत यात्रा 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए 11,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। 16 अक्टूबर को इसका समापन दिल्ली में होगा। कन्याकुमारी से शुरू होने वाली मुख्य यात्रा के समानांतर 6 और यात्राएं भी इसके साथ होंगी जो देश के छह अलग-अलग हिस्सों से शुरू होकर मुख्य यात्रा में मिल जाएंगी। ये समानांतर यात्राएं श्रीनगर, गुवाहाटी, चैन्नई, भुवनेश्वर, कोलकाता और अहमदाबाद से शुरू होंगी। इस यात्रा के जरिए 1 करोड़ लोगों से सीधे सम्पर्क का लक्ष्य रखा गया है।
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