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अगले माह सदर अस्पताल में सीटी स्कैन सेंटर में जांच की सुविधा मिलेगी
खगड़िया। बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के तहत सदर अस्पताल में जल्द ही सीटी स्कैन की सुविधा मरीजों को मिलेगी। जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने बताया कि पुराने दवा काउंटर के समीप बनने वाले सीटी स्कैन सेंटर का लगभग काम पूरा कर लिया गया है। सीटी स्कैन मशीन लगते ही जांच शुरू हो जाएगा। निर्माण एजेंसी से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। सिटी स्कैन सेंटर में भवन, फर्नीचर से लेकर सभी कार्य पूरे कर लिए गए हैं। अब मात्र पांच दिनों का काम है। जैसे ही जांच मशीन आती है, मशीन के इंस्टाल होते ही मरीजों को सीटी स्कैन की सुविधा मिलने लगेगी।
उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि अगले माह सदर अस्पताल में सीटी स्कैन सेंटर में जांच की सुविधा लोगों को मिलनी शुरू हो जाएगी। गौरतलव है कि सदर अस्पताल में एक के बाद एक नई एवं बेहतर जांच की सुविधा बढ़ाई जा रही है। जिससे मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध हो सके। सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध है। गर्भवती महिलाओं के लिए वहां विशेषकर व्यवस्था की गई है। वहीं ओपीडी के लिए अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था सदर अस्पताल में नहीं है। इसके अलावा अस्पताल में डिजिटल एक्सरे, डायलिसिस सेंटर, आरटीपीसीआर सहित नवजात बच्चों के लिए एसएनसीयू की सुविधा उपलब्ध है। वहीं कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए बनाए गए आक्सीजन प्लांट भी निर्माण कंपनी के भाग जाने के कारण बाधित चल रहा है। जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने बताया कि आक्सीजन प्लांट में पाइप जोड़ने का काम बचा हुआ है। निर्माण एजेंसी के भाग जाने के कारण काम बाधित है। लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही आक्सीजन प्लांट को चालू कर दिया जाएगा।
बीते दिनों सदर अस्पताल में बन रहे सीटी स्कैन सेंटर के दरवाजे को कुछ उच्चकों ने उखाड़ दिया था। जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष सदर अस्पताल का निरीक्षण करने गए थे। जहां उन्होंने उस जगह पर ग्रिल लगाने की बात कही है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाएं उनके लिए है। उन्हें समझना होगा कि हम इसे कैसे बचा सके। उन्होंने कहा कि सरकार की संपत्ति को अपनी संपत्ति समझनी होगी। तभी बेहतर सुविधा मिल पाएगी। उन्होंने वैसे उचक्कों को चिन्हित करने की बात कही है।
सदर अस्पताल में औसतन 600 मरीजों का प्रतिदिन इलाज होता है। जटिल समस्याओं के लिए डाक्टरों की ओर से सीटी स्कैन कराने का सुझाव दिया जाता है। जांच सदर अस्पताल में नहीं होने के कारण उन्हें बाहर में पांच हजार से छह हजार रुपये के बीच खर्च करना पड़ता है। सदर अस्पताल में मशीन के लग जाने से मरीजों की जेब नहीं कटेगी।