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![अटल , तेरे जैसा दूजा कोई नही अटल , तेरे जैसा दूजा कोई नही](https://www.specialcoveragenews.in/h-upload/uid/50106igme3dOXBKuSpHmN8HdK6RcnnSyuIpVk4711863.jpg)
एक पत्रकार, कवि हृदय, और अलौकिक वक्ता के रूप में देश की करोड़ो जनता के दिलो पर दशको तक राज करने वाले, भारत रत्न के हर अक्षर को सच साबित करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी अंतत; पंचतत्व में विलीन हो गये. अटल के पार्थिव शरीर को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिये विदेशी मेहमानो , राजनायिको और देश के जाने माने राजनीतिक हस्तियों ने पुष्प चढाकर उन्हें अंतिम विदायी दी तो करोड़ो उनके चाहने वालो ने दूर से ही सही लेकिन दिल से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया.देश की आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कांग्रेस और उसकी विरासत के दिग्गजो जवाहर लाल नेहरू लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के समक्ष विपरीत विचारो के साथ राजनीति का सफर शुरू करने वाले . लेकिन अपने व्यवहार से पक्ष और विपक्ष के चहते बनने वाले अटल जी ने बड़ा सपना देखने की सीख दी थी और उसे जमी पर उतारा भी था.
स्वर्णिम चतुर्भुज योजना हो या फिर सर्व शिक्षा अभियान ऐसी योजनाओं को लागू कर अटल जी ने आम आदमी के सपनो को पंख लगाने की कोशिश की तो कवि हृदय होने के बावजूद पोखरण परीक्षण कर उन्होने अपनी कठोरता का लोहा मनवाया था. ऐ पी जे अब्दुल कलाम जैसै महामानव को राष्ट्रपति बनाना अटल जी की दूरदर्शिता की बानगी थी. पांच साल के शासन में देश को बेहतर शासन देने वाले अटल जी ने जीवन में कभी मर्यादा का उल्लंघन नही किया.यही वजह रही कि उनकी अंतिम विदायी जिसके बारे में उन्होनें कभी सपना देखा होगा कि कि आज केन्द्र और देश के अधिकांश राज्यो में भाजपा की सरकार है बल्कि उनकी अंतिम विदायी में देश के अधिकांश संवैधानिक पदो पर भाजपा के लोग है मौजूद रहे.
लेकिन इसके बावजूद उनके अंतिम विदायी में सभी राजनीतिक विरोधियो की उपस्थिति से ऐसा लग रहा था कि आज देश के लोकतंत्र में भाजपा और कांग्रेस और वांमपंथ नही बल्कि केवल अटल ही अटल है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जीवन होतो अटल जैसा औरमौत भी हो अटल जैसा.यानि अटल तेरे जैसा दूजा कोई नही. हे महामानव अापको शत शत नमन.