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मर्यादा पुरूषोत्तम की मर्यादा का हनन

मर्यादा पुरूषोत्तम की मर्यादा का हनन
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राम नवमी की शुभकामनाएं

पिछले एक सप्ताह से द्वंद में था . अंदर ही अंदर वैचारिक ज्वाला धधक रही थी लेकिन मन पर काबू पाने की सख्त हिदायत भी अंतर्मन निर्देशित कर रहा था. भला हो भी क्यों नही . ठीक एक सप्ताह पहले आज के ही दिन रविवार को मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम का जन्म दिन था. राम के बारे में हमारे धर्म में अवधारणा है कि वे पैदा नही हुए यानि अवतरित हुए वह भी दीन दुखियों के लिये. भये प्रकट कृपाला दीन दयाला , कौशल्या हितकारी. राम के बारे में अवधारणा है कि वे आदिकाल से मौजूद रहे हैं और हर समय मर्यादा का पालन किया है.


शिव पुराण में एक प्रसंग मे चर्चा आयी है कि जब भगवान शंकर मां सती को राम कथा सुना रहे थे उसमें सीताहरण की चर्चा की थी. शंकर ने राम को अपना अराध्य बतलाते हुए मां सती को कहा था कि जो राम के द्रोही हैं वे मुझे पसंद नही .भगवान शंकर को आदि देव कहा जाता है और उनकी उत्पत्ति के बारे में किसी शास्त्र में साक्ष्य भी शायद नही है. भगवान शंकर के मुख से राम की तारीफ सुन मां सती ने राम की परीक्षा लेनी चाही और वे जंगल में सीता के वियोग में भटकते भगवान राम के समक्ष सीता के रूप में उपस्थित हुई. भगवान राम ने जब माता सती को सीता के रूप में देखा तो वे आश्चर्य चकित हुए और उन्हें प्रणाम किया. सती राम के इस रूप को देखकर लज्जित हुई . यह बात जब उन्होनें भगवान शंकर को बताया तो शंकर नाराज हुए और सती को भगवान शंकर ने भी मां के रूप में देखा चूंकि वह सीता का रूप धारण कर चुकी थी . खैर अंतिम परिणति सती का क्या हुआ सब कोई जानते है. एक सप्ताह पहले हमने राजभवन में पदाधिकारी रह चुके लीला कांत झा का एक आलेख पढ़ा था जिसमें उन्होनें राम का अर्थ ( रा --- राधा म-- मोहन बतलाया था. यानि प्रेम की पराकाष्ठा है राम. खैर राम के बारें में लिखना मेरे वश की बात नही .


अब मै लौटता हूं मूल बिंदू पर . मर्यादा पुरूषोत्तम राम के जन्म दिन पर रामनवमी जुलूस की परंपरा इधर कुछ वर्षो में बढ़ी है.राम राज्य की कल्पना और उनके आदर्शो को भावी पीढ़ी को जानकारी देने के लिये रामभक्त अगर इसे जायज ठहराते है तो इसका विरोध नही किया जाना चाहिये. लेकिन भगवान राम ने कभी दुश्मनो के खिलाफ तलवार नही भांजी थी और उनकी सेना में तो समाज के सबसे उपेक्षित और दबे कुचलो का ही बोलबाला था. लेकिन क्या राम के भक्तों ने जिस प्रकार से रामनवमी के बहाने मर्यादा पुरूषोत्तम की मर्यादा का हनन किया आखिर कहां तक आप उसे जायज कहेगें. फिर चाहे औरंगाबाद हो या रोसड़ा या बिहार के अन्य शहर यहां मानवता को तार - तार करने के लिये जिस तरह से तैयारी की गयी थी उसे क्या कहेगें. फिर रामनवमी के जुलूस को लेकर राजनेताओं ने जिस तरह से बयानों के तीर चलाये और अंत में रही सही कसर देश के सबसे तेज माने जाने वाले चैनलों ने जिस तरह एक एजेडें के तहत बिहार की सूरत में कालिख पोती उसे आप क्या कहेगें,.



अंत मे पिछले एक सप्ताह से तथाकथित मीडिया के लिये राबिन हुड बने अर्जित शाश्वस्त का तथा कथित आत्म समर्पण या पुलिस की गिरफ्तारी के बाद यह बयान देना कि राम का नाम लेने के जुर्म में मेरे उपर मुकदमा किया गया है उसे आप क्या कहेगें. राम राजा होते ङुए भी एक दलित के आरोप पर अपनी पत्नी सीता को वनवास देते है और उनके भक्त उन्हें आपना आदर्श मानते हुए भी कानून की धज्जिया उड़ाते है क्या ये मर्यादा पुरूषोत्तम की मर्यादा का हनन नही है क्या. निश्चित रूप से पिछले एक सप्ताह में बिहार क्या समूचे देश में भगवान राम के बहाने समाज के सभी वर्गों के कुछ तथाकथित रहनुमाओं ने जिस तरह से राम के आदर्श की धज्जिया उड़ायी है शायद हमारे शास्त्रो के इस दावे पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता दिख रहा है जब - जब धर्म की हानि होती है प्रभु स्वयं धरती पर अवतरित होते है. हमारी राम से प्रार्थना है कि आप भले ही इस कलियुग में अवतरित ना होना चाहते है लेकिन इतना सदबु्द्धि तो अपने भक्तों को दीजिये कि राम का नाम जपने के बावजूद रावण का अहंकार जो उनके दिल में बैठा है उसका नाश हो. जय श्री राम.

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