
अजीत अंजुम के बाद अंजना ओम कश्यप भी आईसीयू में दाखिल!

आजतक की एक चर्चित महिला एंकर अजीत अंजुम का अनुसरण करते हुए आईसीयू में दाखिल हो गई और उसने वहां से एक स्पेशल शो लाइव कर दिया. यह मसला बेहद संवेदनशील है. यहां लोगों की जिंदगी सीधे तौर पर जुड़ी है. अजीत अंजुम ने ऐसा किया यह मैं समझ सकता हूं. वो चैनल के संपादक हैं. और उन्हें दिखने और छपने का रोग है. वो सनसनी फैलाने में माहिर हैं और उन्होंने इसलिए ऐसा किया होगा. लेकिन आजतक में ऐसा कैसे हुआ यह सोचने लायक बात है.
वहीं अंजना ओम कश्यप ने लिखा कि SKMCH में AESबच्चों को पहले वार्ड में रखा जाता है.गंभीर होने पर ICU में।कई बच्चों की हालत तो इसलिए ख़राब हो रही है क्योंकि वार्ड में ACनहीं है और सभी को dehydration है. मैंने बिहार सरकार को सुझाव दिया है,ये तो फ़ौरन किया जा सकता है. 1-2दिन में वार्ड में ACलग जाएगा ऐसा वादा किया गया.
इसकी एक बड़ी वजह है. आजतक में एडिटोरियल कंट्रोल जिन लोगों के हाथ में है वो पर्दे के पीछे रहते हैं. सुप्रिया प्रसाद कैमरे पर नहीं आते हैं. उनसे पहले नकवी साहब टीवी टुडे के ग्रुप हेड थे. वो भी पर्दे पर नहीं आते थे. यहां एक सिस्टम काम करता है. बावजूद इसके अगर इनका कोई एंकर किसी अस्पताल के आईसीयू से लाइव करता है और ये लोग ऐसा होने से रोक नहीं पाते हैं तो यह इनकी चूक है. या फिर यह कि इनकी हैसियत इस लायक नहीं बची है कि अपने एंकरों को अराजक होने से रोक सकें.
दरअसल, अजीत अंजुम या फिर इस महिला एंकर ने जो किया है वह पत्रकारिता के किसी भी मापदंड पर खरा नहीं उतरता. इन्होंने अपनी हरकत से मरीजों की जान जोखिम में डाला है. मासूम बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ किया है. इसे पत्रकारिता नहीं कहा जा सकता. वह तो नीतीश कुमार बैकफुट पर हैं. उनमें और उनके शासन में नैतिक बल नहीं बचा है. अगर बचा होता तो इस मामले में अब तक कार्रवाई की जा चुकी होती. आईसीयू में अतिक्रमण एक ऐसा मसला है जिस पर कार्रवाई होनी चाहिए. कम से कम इन संपादकों से यह जरूर पूछा जाना चाहिए कि इन्होंने ऐसा क्यों किया या फिर ऐसा क्यों होने दिया.
वरिष्ठ पत्रकार समरेंद्र सिंह की एफबी वॉल से.




