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पटना: बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपने दो दिवसीय बिहार दौरे के बाद रवाना हो गए. इस दौरे के दौरान शाह ने जहां बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश भरा, वहीं नीतीश और शाह की 'डिनर डिप्लोमेसी' से दोनों दलों में बढ़ती खटास भी कम होने के पूरे आसार हैं. बिहार दौरे के क्रम में शाह की सुबह के नाश्ते और रात के खाने पर मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात हुई. इस दौरान दोनों नेताओं ने करीब 40 मिनट तक अकेले में बात की. जेडीयू के सूत्रों की मानें तो सीट बंटवारे को लेकर फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है. हालांकि औपचारिक तौर पर सीट शेयरिंग को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया गया.
बीजेपी भी जानती है कि बिहार की राजनीति में करीब तीन दशकों से अपनी धमक कायम रखने वाली नीतीश की पार्टी पिछले लोकसभा चुनाव में भले ही दो सीटों पर सिमट गई हो, लेकिन अभी भी बिहार के मतदाताओं में नीतीश की स्वच्छ छवि के प्रति आकर्षण बरकरार है. नीतीश भी इस आकर्षण और वजूद को काफूर होने देना नहीं चाहते.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर का कहना है कि नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं, ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार में वही 'बड़े भाई' की भूमिका में रहेंगे. शाह के बिहार दौरे के पहले बीजेपी और जेडीयू 'बड़े भाई' और 'छोटे भाई' की भूमिका, यानी ज्यादा सीटों के दावे को लेकर आमने-सामने आ गए थे. उधर महागठबंधन में शामिल कांग्रेस भी मौका देखकर नीतीश पर डोरे डाल रही थी तो सबसे 'बड़ा भाई' आरजेडी 'नो इंट्री' का साइनबोर्ड दिखाने लगा था.
गौरतलब है कि दोनों दलों की बयानबाजी के दौरान जेडीयू ने कहा था कि पिछले लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले पर चलते हुए उसे 40 में से 25 सीटें मिलनी चाहिए. जेडीयू ने यहां तक कह दिया था कि अगर बीजेपी नहीं मानती है, तो वह सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकता है.
अब शाह के दौरे के बाद जेडीयू के सुर भी बदल गए हैं. पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं कि दोनों दलों में कहीं कोई मतभेद नहीं है. दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार की सभी सीटों पर जीतना उनके दल की प्राथमिकता है. राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता ठाकुर कहते हैं, "राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते नीतीश कुमार ही बड़े भाई हैं." उन्होंने हालांकि यह भी कहा, "राजनीति में बड़े और छोटे भाई बदलते रहते हैं. समय के अनुसार बड़ा भाई छोटा हो जाता है और छोटा भाई बड़ा हो जाता है."
पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी और उसे मात्र दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था, जबकि बीजेपी को 40 में से 22 सीटें मिली थीं. इस हिसाब से बीजेपी खुद को बड़ा भाई बताने लगी थी तो जेडीयू को विधानसभा चुनाव में मिली 71 सीटों का गुमान था, विधानसभा चुनाव में बीजेपी 53 सीटों पर सिमट गई थी.
एनडीए के अन्य सहयोगी दलों एलजेपी और आरएलएसपी को क्रमश: छह और तीन सीटें मिली थीं. सूत्रों का कहना है कि जेडीयू लोकसभा चुनाव के बहाने दबाव की रणनीति के तहत आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अभी ही बात तय कर लेना चाहता है. इस स्थिति में नीतीश का वजूद भी बिहार में बना रह सकेगा. पिछले विधानसभा चुनाव में अमित शाह पटना के होटल मौर्या में तीन महीने तक डेरा डाले रहे. शाह ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया था कि नीतीश के जेडीयू के साथ बीजेपी का गठबंधन अटूट है.
(इनपुट: IANS से भी)
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