
बड़ा खुलासा: सरकार के अधिकारी ही सरकार को लगा रहे हैं चूना

शेखपुरा (ललन कुमार):जिले के सरकारी विभागों में कोमर्सियल वाहनों के जगह पर प्राइवेट वाहनों का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। हद तो तब हो गई जब सरकार के अधिकारी ही वाहनों के एग्रीमेंट कागजात में फर्जीवाड़ा कर सरकार को हर महीने लाखों का चूना लगा रहे हैं।
सरकारी सूत्रों ने अपना नाम नहीं लिखने के शर्त पर कहा कि जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक के कुछ पदाधिकारी वाहन के किराया मद में आबंटित सरकारी राशि को फर्जीवाड़ा कर हर महीने लूटने का काम रहे हैं। सरकारी नियम यह है कि सरकारी विभागों में पदाधिकारियों द्वारा जो वाहनों का उपयोग किया जाना है वह कोमर्सियल होना चाहिए। प्राइवेट वाहनों का सरकारी विभागों में उपयोग वर्जित है या यों कहें कि यह दण्डनीय अपराध है।फिर भी कुछ अधिकारी कोमर्सियल के जगह पर प्राइवेट वाहनों का उपयोग विभागीय स्तर पर खूब कर रहे हैं और सरकार को बड़े पैमाने पर चुना लगा रहे हैं।
सूत्रों ने तो यहां तक खुलासा करते हुए कहा कि दूसरे वाहन मालिक जिनका वाहन लाइसेन्स कोमर्सियल है वैसे वाहन मालकों के लाइसेंस के कागजात लेकर विभागीय एग्रीमेन्ट कर दिया जाता है और वह पदाधिकारी खुद का निजी वाहन उपयोग विभागीय स्तर पर करके सरकार को हर महीने वाहन भाड़े का लाखों का चुना लगा रहे हैं। जिन कोमर्सियल वाहन मालिकों का कागजात से उनके द्वारा भाड़े का एग्रीमेन्ट कराया जाता है उन्हें वैसे पदाधिकारी द्वारा हर महीने बंधी बंधाई तय राशि दे दी जाती है।
वहीं समता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि जितना भी सरकारी वाहन जो विभागीय स्तर पर सरकारी विभागों में चल रहे है उनमे ज्यादा तर फर्जीवाड़ा कर चलाया जा रहा है। वाहन ज्यादातर विभागीय पदाधिकारियों के खुद के होते हैं और उसी वाहन को अन्य वाहन मालिकों के बताकर उनके कागजात पर सरकार से किराया भी वसूल किया जा रहा हैं। यह तो एक तरह का वाहन भाड़ा घोटाला है।राजेन्द्र ने कहा कि दुसरो के वाहनों को यह कहकर जिला परिवहन विभाग द्वारा पकड़ कर जुर्माना वसुल किया जाता है कि उनके वाहन कोमर्सियल लाइसेंस वाले नहीं है और वे कोमर्सियल उपयोग कर रहे हैं।अब जो सरकारी विभागों में प्राइवेट वाहनों का उपयोग कोमर्सियल उपयोग में हो रहा है तब इसका जिम्मेवार कौन है। उस पर क्या कार्रवाई की जा रही है।
यह एक अहम सवाल है।इधर जिला परिवहन पदाधिकारी शशि शेखरम ने कहा कि सरकारी विभागों में कोमर्सियल वाहनों के जगह प्राइवेट वाहनों को नहीं चलाया जाना चाहिए। इससे सरकार के राजस्व की हानि होती है। छोटी वाहन हो या बड़ी वाहन जब उसका उपयोग कोमर्सियल कर रहे हैं तो उसका लाइसेंस भी ले लेना चाहिये। उन्होंने अनौपचारी वार्ता में कहा कि कोमर्सियल और प्राइवेट वाहनों के लाइसेंस पर टैक्स का ज्यादा अंतर नहीं है। फिर भी लोग ऐसा करते है तब उनकी नासमझी है।अब नए साल में ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान भी चलाकर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोमर्सियल वाहनों की पहचान पिला नम्बर प्लेट पर काले रंग से लिखा हुआ होना चाहिए।




