
उपेन्द्र कुशवाहा पर अब दोहरी मुसीबत, विधायकों के साथ अब इस चीज पर संकट!

बिहार में राजनीत के धुरंधर बने उपेन्द्र कुशवाहा अब हर मामले में उलझते जा रहे है. शनिवार को उनकी पार्टी के दोनों विधायक और विधान पार्षद ने एनडीए में ही रहने की घोषणा कर दी. यहाँ तक तो सब कुछ ठीक था. लेकिन बाद में उन्होंने अपना दावा चुनाव आयोग में भी पार्टी और चुनाव चिन्ह पर पंखा पर अपना मालिकाना हक पेश करने की बात कही है.
रालोसपा सुप्रीमों उपेन्द्र कुशवाहा ने दस दिसंबर को केंद्र के मोदी सरकार से इस्तीफा दिया था. उसके बाद उनकी पार्टी पर तलवार लटक चुकी थी. एक बार जब उन्होंने और कहा था कि हम एनडीए से अलग होंगे तभी उनके इन विधायकों ने उनसे अलग होने की बात कर दी थी. जो अब यथार्थ में बदल गई है. रालोसपा विधायकों ने राज्य सरकार में हिस्सेदारी मांगी है. राज्य के बोर्ड-निगम में भी हिस्से की मांग की है. साथ ही पार्टी के सिम्बल सिलिंग फैन पर दावा ठोकने के लिए चुनाव आयोग में जाने का फैसला किया है.
पार्टी विधायक ललन पासवान, सुधांशु शेखर व विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह ने शनिवार को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पार्टी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा व्यक्तिवादी राजनीति करते हैं. रालोसपा अब भी एनडीए में है और रहेगी. उपेन्द्र कुशवाहा ने अकेले एनडीए से अलग होने का फैसला किया है. उनके साथ न तो कोई जनप्रतिनिधि है और न ही कोई कार्यकर्ता. वह हमेशा अपने स्वार्थ के लिए दल बदलते रहे हैं.
विधायकों ने कहा कि राज्य में एनडीए की सरकार बनने के बाद सभी घटक दलों को हिस्सा मिला, लेकिन रालोसपा वंचित रह गया. लिहाजा हमारी पार्टी के विधायक सुधांशु शेखर को राज्य मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाना चाहिए. सरकार बनते वक्त भी उनलोगों ने पार्टी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा से यह बात कही थी. लेकिन उन्हें केवल अपने हित का ख्याल रहा, लिहाजा एनडीए नेतृत्व के सामने वह अपनी बात नहीं रख सके.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार और बोर्ड-निगम में पार्टी को हिस्सेदारी नहीं मिली तो कार्यकर्ताओं में निराशा होगी. इसका असर चुनाव पर भी पड़ेगा. एनडीए नेतृत्व को पार्टी के प्रति अपने व्यवहार में बदलाव करना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी उपेन्द्र कुशवाहा पर कोई कार्रवाई करेगी, ललन पासवान ने कहा कि हमलोग किसी को शहीद करना नहीं चाहते हैं.




