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आखिरी व्यक्ति से लेकर राजा तक की कथा है रामचरितमानस - मोरारी बापू
श्लोक को लोक तक ले जाने का श्रेय लेने वालों में तुलसीदास भी एक हैं. वे संस्कृत के महान ज्ञाता थे, संस्कृत में लिखते जरुर थे लेकिन अर्थ आम लोंगों की समझ में आ जाता था. बचपन से लेकर उत्तरावस्था, उसी का नाम रामचरितमानस है. उक्त बाते प्रसद्धि मानस मर्मज्ञ रामकथा वाचक मोरारी बापू ने बेगुसराय के सिमरिया में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा सह साहित्य महाकुंभ के उद्घाटन के अवसर पर कहीं.
मोरारी बापू ने कहा कि लीलाओं में अभिनय की जरूरत होती है जबकि चरित्र में जीवन होता है. रामचरितमानस में सात सोपान है . तुलसीदास ने सात सोपानों में जीवन की गंगा बहा रहे है. इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन दिनकर जी की पुत्र केदारनाथ सिंह और धर्मपत्नी व पुत्र के साथ यजमान विपिन ईश्वर द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. उन्होंने इस कार्यक्रम को लेकर विपिन ईश्वर परिवार को बहुत साधुवाद दिया. मोरारी बापू के स्वागत में लोक गायिका रंजना एवम उनकी टीम के द्वारा एक गीत प्रस्तुत नृत्य के साथ प्रस्तुत करके किया गया .बिंद जाति के 15 लड़के लड़कियों द्वारा बापू पर पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया गया.
दीप प्रज्ज्वलन के बाद केदारनाथ सिंह ने आये हुए श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह मेरे किसी पूर्व जन्म का फल है कि मैं दिनकर का पुत्र हूँ और बापू की कथा में मुझे आपके अभिनंदन का मौका मिला है. बापू के प्रति आदर व अपने स्नहे भरे शब्दों से उनका अभिनंदन कर उन्होंने बापू का भी मिथिला की धरती पर अभिनंदन किया. कार्यक्रम के अगले दौर में मिथिला की परम्परा के अनुरूप बापू को शॉल व पाग समर्पित कर मिथिला के लोकगीत की प्रस्तुति के साथ उनका अभिनंदन किया गया.
रामकथा वाचक परमपूज्य मोरारी बापू ने रामकथा प्रारम्भ करने से पहले राष्ट्रकवि दिनकर की भूमि सिमरिया को नमन करते हुए दिनकर को बलवंत ,शीलवंत व कलवंत बताते हुए कहा कि मैंने पहले सरस्वती की वंदना की और अब गंगा की वंदना के साथ रामकथा को प्रारम्भ कर रहा हूँ. उन्होंने कहा कि लीलायें अभिनय है जिसमे कोई जरूरी नही कि पात्र का चरित्र उसके अनुरूप हो लेकिन चरित में यह आवश्यक है कि उसके अनुरूप कथा अभिनय और आचरण हो,,उन्होंने कहा कि रामचरित्रमानस"नाना पुराण निगमागम" एक सर्वस्पर्शी, सर्वग्राही एवं सर्वकल्याणकारी कथा है जिसमे सम्पूर्ण देश की संस्कृति,आचरण एवं मर्यादित जीवन शैली का उल्लेख है,उन्होंने कहा कि तुलसी का रामायण लोकभाषा, लोकभुषा व लोकआचरण का सर्वोत्तम स्वाँतः सुखाय समग्र ग्रंथ है,रामचरित्रमानस देश के आखिरी व्यक्ति से लेकर सर्वशक्तिमान कल्याणकारी राजा तक की कथा है, उन्होंने रामकथा को परमकल्याणकारी बताया.
अद्भुत व अकल्पनीय आयोजन के इस पुनीत अवसर पर कथा परिसर में बापू के मुखारविंद से रामकथा का रसास्वादन करने राज्यसभा सांसद पद्मश्री सी पी ठाकुर,बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा,पूर्व विधान पार्षद विवेक ठाकुर,पूर्व सांसद रामजीवन सिंह,उत्तरप्रदेश के पूर्व DGP गोपाल गुप्ता,सहित अनेकों विधान पार्षद ,विधायक एवं जनप्रतिनिधि सपरिवार मौजूद थे.
आयोजन समिति के प्रशासनिक सह कार्यक्रम सम्यवयक अमरेंद्र कुमार अमर ने बताया कि सम्पूर्ण परिसर व्यवस्थित एवं दोनों कार्यक्रमों के आने वाले श्रद्धालुओं एवं लोगों के लिए सर्वाधिक साधन युक्त एवं सुरक्षित है,जिसमें विभिन्न जगहों से आने के लिए निःशुल्क बसों की व्यवस्था की गई है..