पटना

फेसबुक ने नेपाल के बिहार में बिछुड़े बेटे को छह माह बाद पिता से मिलाया!

Shiv Kumar Mishra
6 March 2020 12:14 PM IST
फेसबुक ने नेपाल के बिहार में बिछुड़े बेटे को छह माह बाद पिता से मिलाया!
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मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार भगत ने बताया कि नाम और खुद को नेपाल निवासी बताने के बाद उसे नेपाल का नक्शा दिखाया गया, लेकिन वह किस जिले का है, बता नहीं पाया।

शिवानंद गिरि

पटना : एक बेटे को 6 माह बाद उसका बाप मिल जाए इससे बड़ा खुशी और क्या हो सकता है कुछ इसी तरह का वाकया हुआ है बिहार के भागलपुर में जब छह माह पूर्व बिछड़े बेटे को फेसबुक के जरिए पिता मिल गया। छह महीने बाद बेटे को सलामत देख पिता की आंखें डबडबा आईं। खुशी के आंसू रुक ही नहीं रहे थे। वाकया जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) का है, जहां चिकित्सकों और कर्मचारियों की सेवा और प्रतिबद्धता ने याददाश्त खो चुके पड़ोसी देश नेपाल के एक युवक को उसके परिवार से मिला दिया। इसमें फेसबुक का अहम योगदान रहा। अस्‍पतालकर्मियों ने फेसबुक के जरिये दोनों को मिलाया।

दरअसल नेपाल के मादीनगर निवासी रामबहादुर को बस से सिलीगुड़ी जाते समय नशाखुरानियों ने अपना शिकार बना लिया था। पिछले साल 11 सितंबर को पुलिस ने उसे बेहोशी की हालत में जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में भर्ती कराया था। नशाखुरानियों ने उसका सबकुछ लूट लिया था। नशे के असर से उसकी याददाश्त भी चली गई थी। पहले अस्पताल के इमरजेंसी, फिर इंडोर मेडिसीन विभाग और मानसिक रोग विभाग में उसका उपचार किया गया। मानसिक रोग विभाग में पांच महीने के उपचार के बाद उसे कुछ-कुछ याद आना शुरू हुआ।

मानसिक रोग विभाग की नर्सों के मुताबिक रामबहादुर की स्थिति नाजुक थी। वह खुद से उठ भी नहीं पाता था। बिस्तर पर ही शौच करता। कर्मचारी उसकी सफाई करते थे। कपड़ा बदलते और खाना भी खिलाते थे। सेवा और दवाइयों से उसे फायदा हुआ। मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार भगत ने बताया कि नाम और खुद को नेपाल निवासी बताने के बाद उसे नेपाल का नक्शा दिखाया गया, लेकिन वह किस जिले का है, बता नहीं पाया।

फेसबुक पर दोस्त को पहचाना

नर्स दीपा, सुरक्षा गार्ड मधुकर यादव और रूपेश ने फेसबुक के जरिये उसके मित्र की पहचान कराई। इन कर्मचारियों ने उसके दोस्त को रामबहादुर की स्थिति और अस्पताल का पता बताया। गुरुवार को उसके पिता कोलबहादुर, बड़ा भाई फाउदा और मित्र अस्पताल में रामबहादुर से मिले। रामबहादुर किसान हैं। उन्होंने कहा कि बेटा आभूषण कारीगर है। काम के सिलसिले में सिलीगुड़ी जा रहा था। पांच दिनों तक उसकी खबर नहीं आने पर वह परेशान हो गए। उन्होंने आशा ही छोड़ दी थी। अस्पताल ने उन्हें बेटे से मिलवाया है। वह इस उपकार को कभी भूल नहीं पाएंगे।

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