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हाईकोर्ट ने दिया शरद यादव को एक और झटका, लेकिन एक बड़ी दे दी राहत

हाईकोर्ट ने दिया शरद यादव को एक और झटका, लेकिन एक बड़ी दे दी राहत
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दिल्ली के हाई कोर्ट ने राज्यसभा सांसद से पद से हटाए गए शरद यादव की याचिका को खारिज कर दिया. लेकिन एक कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि इनको इस समय सीमा के दौरान सरकारी आवास और भत्ता मिलता रहेगा. शरद यादव ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर खुद को राज्यसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए जाने के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू के फैसले को चुनौती दी थी.


जनता दल यूनाइटेड की अपील पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 4 दिसंबर को शरद यादव के साथ-साथ अली अनवर को भी राज्यसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया था. शरद यादव बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार के बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद से अलग रास्ता अपनाए हुए हैं.


इस साल जुलाई में नीतीश ने बिहार में कांग्रेस-आरजेडी के साथ जेडीयू के महागठबंधन को तोड़कर बीजेपी के साथ सूबे में नए सिरे से सरकार का गठन किया था. शरद ने नीतीश के इस फैसले का खुलकर विरोध किया था.


शरद ने दावा किया था कि उनकी अगुआई वाला जेडीयू धड़ा ही असली जेडीयू है और उन्होंने चुनाव आयोग के सामने जेडीयू के चुनाव चिह्न तीर पर अपना दावा किया था.लेकिन चुनाव आयोग ने शरद गुट के दावे को खारिज कर दिया. बाद में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने का आदेश दिया.

राज्यसभा के सभापति ने जेडीयू के उस तर्क को स्वीकार किया कि उसके 2 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन कर और विपक्षी पार्टियों के कार्यक्रमों में शामिल होकर अपनी पार्टी सदस्यता को 'स्वतः ही त्याग' दिया है. जेडीयू ने शरद और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने के लिए सदन के सभापति से अनुरोध किया था. यादव पिछले साल राज्यसभा के लिए चुने गए थे और उनका कार्यकाल 2022 में खत्म होने वाला था. अली अनवर का कार्यकाल अगले साल खत्म होने वाला था.

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