
क्या बिहार में पुलिस और कानून का भय खत्म हो चुका है?

मैं यह तो स्वीकार कर सकता हूं कि आरा में युवक की हत्या से आक्रोश पैदा हुआ जो उसकी बहन की मृत्यु से बढ गया। किंतु उसमें किसी महिला को नंगा करके सड़कों पर जुलूस निकालना तो मानवता को शर्मसार करना है।
क्या रास्ते में सबने आंखें बंद कर ली? कोई भी उस महिला के नंगे बदन को ढंकने के लिए कपड़ा डालने नहीं आया। क्या पुलिस और कानून का भय खत्म हो चुका है? पुलिस प्रशासन क्या कर रहा था? युवक की हत्या के बाद तनाव बढ़ रहा था। प्रशासन और पुलिस ने कोई पूर्वोपाय किया ही नहीं। अगर महिला की भूमिका संदिग्ध है भी तो उसके साथ नंगई करने वाले क्या कहे जाएंगे? आरोप में राजद के लोग पकडे़ गए हैं।
इसका मतलब क्या है? क्या राजनीतिक साजिश के तहत आक्रोशित लोगों को भड़काया गया? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार की जनता को संबोधित करना चाहिए। वे लोगों से क्षमा मांगें और ऐसी वारदात के विरूद्ध चेतावनी दे। पुलिस प्रशासन को भी सख्त चेतावनी दें। अपराध करने वालों के साथ दोषी अधिकारियों के विरूद्ध भी कठोर कार्रवाई हो।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार है, उनके अपने निजी विचार है