
राष्ट्रकवि दिनकर की पावन धरती पर कथा करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है - संत मुरारी बापू

शिवानंद गिरी
राष्ट्रकवि दिनकर 21वीं सदी के पुण्यश्लोक के कवि थे वे बलबंत, कलबंत व कुलवंत कवि थे. दिनकर महान कर्जक , कलमकार और साहित्य के सूर्य थे. उक्त उदगार मानस मर्मज्ञ संत शिरोमणि मुरारी बापू ने बेगूसराय के ऐतिहासिक धर्म स्थली सिमरिया धाम में कही.
नौदिवसीय इस साहित्य के महाकुंभ को संबोधित करते हुए मोरारी बापू ने कहा, दिनकर जी की रचनाओं को जितना पढ़ा व समझ पाया उसमें दिनकर बलवंत, शीलवंत कुलवंत कवि है. जिन की रचनाएं आज भी उतना ही प्रासंगिक हैं जितना पहले थी.
दिनकर जी जैसे महान कवि की भूमि पर राम कथा करना परम सौभाग्य की बात है. मैं काफी अभिभूत हूं यहां आकर. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह आयोजन परम हितकारी है व्यासपीठ से जुड़ा हुआ है. न तो इसमें कोई राजनीति है और नहीं है फलानित. व किसी व्यक्ति व स्वार्थ निमित्त नहीं है.
मुरारी बापू के अनुसार बिहार के राजगीर,पटना, सीतामढ़ी की राम कथा में आयोजनों में यह भाव उभरता रहा है कि राष्ट्रकवि दिनकर की धरती पर कथा करूँ और बेगूसराय के भरौल निवासी यजमान विपिन ईश्वर परिवार ने मेरी इस मनोभाव को पूरा कर दिया है.
दिनकर की पावन भूमि जनक पुत्री सीता की धरती पर, गंगा के तट पर, भगवान बुद्ध और महावीर की इस धरा पर मुझे परम सौभाग्य मिला है जिसके लिए मैं यहां के श्रद्धालुओं का आभारी हूं. उन्होंने कहा कि यह मेरी सरस्वती यात्रा है इसलिए मैं यहां आते ही दिनकर जी के गांव गया.
जहां उनके गर्भ ग्रह सहित अन्य जगहों का भ्रमण कर अपने आप को धन्य समझ रहा हूं. यह उन्हीं के स्वान्तः सुखाय आयोजन है. लोगों के द्वारा लोगों के लिए और लोंगों का आयोजन है.
उन्होंने कहा कि भगवान शिव अनादी कवि, वाल्मीक आदि कवि तथा तुलसीदास प्रसादी कवि हैं. इसलिए दिनकर जी के सम्मान में यह आयोजन मानस आदि कवि समारोह के रूप में जाना जाएगा.




