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बिहार सीट बंटवारे को लेकर जदयू ने दिए दो फॉर्मूले, बीजेपी ने किया खारिज: सूत्र

मोदी और नीतीश कुमार
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मोदी और नीतीश कुमार
जदयू के सीट बंटवारे को लेकर दिए गये फार्मूले को बीजेपी ने किया ख़ारिज
सीटों बंटवारे को लेकर बिहार में एनडीए में अभी तक तस्वीर साफ नहीं हुई है. जेडीयू ने दो फॉर्मूले सुझाए लेकिन बीजेपी को ये मंजूर नहीं है. जेडीयू की तरफ से नीतीश कुमार के खासमखास आरसीपी सिंह और ललन सिंह बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव से दिल्ली में मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात के दौरान 2019 के लिए सीटों को लेकर दो फॉर्मूला पर बात हुई.
जेडीयू की तरफ से कहा गया कि एनडीए के दो घटक दलों को कितनी सीटें दी जाए ये तय हो जाए, फिर बाकी सीटों पर बीजेपी और जेडीयू आपस में बराबर बराबर बांट ले. दूसरा फार्मूला ये दिया कि जेडीयू 21 सीटों पर लड़े और 19 सीटों पर बीजेपी अपने दोनों सहयोगी पार्टियों के साथ लड़े. लेकिन खबर ये है कि इस दोनों फॉर्मूले को फिलहाल दरकिनार कर दिया गया है.
जेडीयू का तर्क ये है कि बिहार में जेडीयू का बीजेपी के साथ गठबंधन हुआ है इसलिए बाकी दलों के लिए बीजेपी जगह बनाए. क्योंकि जेडीयू बिहार में बड़ी पार्टी है और पहले 25 सीटों पर लड़ती रही है ऐसे में उसका सबसे बड़ा शेयर तो बनता ही है. लेकिन बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने इस फॉर्मूले को एक सिरे से खारिज कर दिया है.
बीजेपी का मानना है कि एनडीए में दो महत्वपूर्ण सहयोगी दल पहले से हैं, उनकी सीटों पर दावेदारी किस आधार पर कम कर दी जाए. एलजेपी के नेता रामविलास पासवान पहले ही सात सीटों की दावेदारी कर चुके हैं. आरएलएसपी के नेता उपेंद्र कुशवाहा भी तीन सीटों से कम लेने को किसी भी सूरत में तैयार नहीं.
उपेंद्र कुशवाहा ने तो एक कदम आगे बढ़कर 2020 के एनडीए की तरफ से सीएम पद की उम्मीदवारी का दावा भी ठोक दिया है. बीजेपी चाहती है कि सीटों के सवाल को अंतिम समय यानि चुनाव के ठीक पहले सुलझाया जाए ताकि कोई सहयोगी दल भागे नहीं. लेकिन नीतीश कुमार इसे जल्द ही निपटाना चाहते हैं क्योंकि वो ये जान चुके हैं कि बीजेपी से अंतिम समय में डील करना आसान नहीं होगा.
जेडीयू की दूसरे पंक्ति के नेताओं ने अपनी ओर से बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया है. अब दोनों पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मुलाकात 12 जुलाई को पटना में होगी. ऐसे में बात आगे बढ़ेगी. जेडीयू की तरफ से बयानों के तीर अगर आगे भी चलते रहे तो इसका मतलब ये हुआ कि वह बीजेपी पर दबाव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. अगर जेडीयू की आवाज़ धीमे हो जाए तो इसका मतलब ये कि पटरी बैठ रही है.
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