

बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव होने की आशंका प्रबल होती दिख रही है. राजद की नज़र दलित वोटो पर है. तेजस्वी यादव ने ग्राउंड फीडबैक के आधार पर अनुमान लगाया है कि उनके साथ यादव और मुस्लिम मतदाता का समर्थन है. ऐसे में दलितों का अगर पचास फीसदी से अधिक हिस्सा पार्टी को मिल जाए फिर भाजपा और जदयू का गठबंधन भी राजद को हरा नही पायेगा. इसके आगे फिर बिहार की गद्दी पर राजद का कब्जा होना तय माना जा सकता है.
अब तक महादलित समुदाय को नीतीश कुमार का वोट बैंक माना जाता था. उस पर अब लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की नजर है.. बिहार में दलितों की आबादी करीब 16 फीसदी है. इनमें से चार फीसदी पासवान जाति के वोटर पर रामविलास पासवान की पकड़ है. बाकी दलित जातियों पर नीतीश कुमार का प्रभाव माना जाता है. लेकिन अभी बक्सर के नंदन गांव में 12 जनवरी को दलितों ने नीतीश कुमार के काफिले पर पत्थऱ बरसाए और इस घटना ने राजनीति को नया मोड़ दे दिया. अब जो समर्थक थे विरोध करते नजर आयेंगे.




