Begin typing your search...

तो फिर लगता है प्रशांत किशोर बहुत बड़े फरेबी है और बिहार के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे है

तो फिर लगता है प्रशांत किशोर बहुत बड़े फरेबी है और बिहार के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे है
X
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • Print
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • Print
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • Print
  • koo

संतोष सिंह

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से लौटने के साथ ही प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा को करव करने की तैयारी शुरु कर दिये हैं और तय हुआ है कि मोतिहारी से इनके साथ तीन चार दिन पैदल चलेंगे क्योंकि इसी बहाने गांव के लोगों से मिलने जुलने का मौका भी मिल जायेगा। इसलिए निकलने से पहले इनके यात्रा को समझने के लिए जन सुराज यात्रा से जुड़े पेज और मीडिया में आ रही खबरों पर इन दिनों विशेष नजर रख रहे हैं लेकिन मैं खुद स्पष्ट नहीं हो पा रहा हूं कि प्रशांत किशोर के इस यात्रा का मतलब क्या है ।

राहुल की यात्रा के दौरान एक बात समझ में आयी कि वो देश के वर्तमान हालात को लेकर यात्रा पर निकले हैं आप उससे सहमत हो या ना हो, राहुल की यात्रा में पूरी स्पष्टता है, लक्ष्य साफ दिख रहा है लेकिन प्रशांत किशोर की इस यात्रा के पीछे लक्ष्य ,उद्देश्य और मिशन क्या है कुछ भी स्पष्ट नहीं है। कभी लगता है ये अपने आपको चाणक्य की भूमिका में बिहार भ्रमण पर निकले हैं चन्द्रगुप्त मौर्य की तलाश में ,तो कभी लगता है रमाकांत आचरेकर की तरह सचिन को तलाशने निकले हैं। लेकिन जब ये कहते हैं कि लालू जी का लड़का 9वीं पास है और वो उपमुख्यमंत्री है. अगर आपका बच्चा 9वीं पास होगा तो क्या उसे चपरासी की भी नौकरी मिलेगी? तो फिर लगता है ये व्यक्ति बहुत बड़ा फरेबी है और बिहार के लोगों की भावनाओं से खेलने आया है।

ये कहते हैं मैं अच्छे लोगों को राजनीति में लाने के लिए यात्रा पर निकले है, बात सही है लेकिन आज की जो राजनीतिक व्यवस्था है जिसके पक्षकार आप भी है इसमें अच्छे ,पढ़े लिखे और ईमानदार व्यक्ति के लिए जगह कहां है आजकल पंचायत की सबसे छोटी इकाई वार्ड सदस्य के चुनाव में भी उम्मीदवार को कम से कम 10 से 20 हजार रुपया खर्च करना ही पड़ जाता है। ये हम कम से कम की बात कर रहे हैं मुखिया, प्रमुख की बात ही छोड़िए बात अगर विधायक बनने की करे तो जो व्यवस्था चल रही है उसमें आप बिना पैसा खर्च किये हुए चुनाव जीत ही नहीं सकते हैं। कोई कहता है तो वो सबसे बड़ा झूठा और बेईमान है ऐसे में अच्छे लोग राजनीति में क्यों आयेगा अपना जमीन बेच कर ।

तो फिर आप राजनीति को भी आईपीएल बनाना चाहते हैं पूरे प्रदेश में घूम घूम कर स्वस्छ और बेहतर छवि वाले लोगों का चयन कर आईपीएल की तरह ही बोली लगवाना चाहते हैं ताकी जब ये लोग जीत कर आये तो किसी के हाथों सड़क निर्माण का ,तो किसी के हाथों स्वास्थ्य व्यवस्था का, तो किसी के हाथों शिक्षा व्यवस्था को बेच सके और ये स्वभाविक भी है यात्रा के दौरान जो करोड़ों रुपये खर्च होगे वो तो कही से निकलना चाहिए ना व्यापार का तो यही नियम है ना। पटना दफ्तर में काम करने वाले को आप सड़क पर उतार दिए हैं और नियम बना दिया है कि सेलरी तभी मिलेगी जब आप रोजाना सौ लोगों को जन सुराज यात्रा के ऐप से जोड़ेगे ।स्वभाविक है आपकी यात्रा की सफलता ऐप पर भी निर्भर है ।

ऐसे में इस यात्रा को क्या कहा जाये,प्रशांत किशोर जी आपके निवेश का जो ये तरीका है उससे बेहतर और स्वच्छ राजनीति की बात सोचना भी बेमानी है इसलिए आपकी जो ये यात्रा है उसको लेकर एक बार फिर गंभीरता से विचार करिए क्यों कि आपने जो पैदल गांव गांव चलने का फैसला लिया है वह बहुत ही कठिन फैसला है ।

वही गांव के लोग आप जैसे दिल्ली पंजाब से पैसा कमा कर आने वाले से कैसे पैसा ठगा जाता है इसमें माहिर है। ऐसे में आप सच में बदलाव के लिए यात्रा पर निकले हैं तो जनता हर पांच वर्ष में एक बार वोट के सहारे मुखिया ,विधायक और सांसद चुनने का जो अधिकार मिला है उस अधिकार का इस्तेमाल करने के दौरान जनता को यह लगना चाहिए कि जिस नेता को चुनने जा रहे हैं वो दमाद से भी ऊंचा है और आप जैसे दमाद खोजते हैं वैसे ही सब कुछ सोच समझ कर नेता खोजे तभी कुछ भला होगा।आप इतना समझा दे बहुत बड़े बदलाव के लिए आप याद किए जायेंगे।

Shiv Kumar Mishra
Next Story
Share it