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बेगूसराय के पत्रकारों के जज्बे को सलाम

बेगूसराय के पत्रकारों के जज्बे को सलाम
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अशोक मिश्र

बेगूसराय जिला पत्रकार संघ के द्वारा दो दिवसीय मीडिया विमर्श सह कार्यशाला का समापन रविवार को समाप्त हो गया . यो तो बेगूसराय की माटी उर्वरा रही है और यही वजह है कि चाहे साहित्य हो या संगीत खेल हो या कृषि फिर अपराध या पत्रकारिता . शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो जिसमें बेगूसराय पिछड़ा रहा हो. यही वजह है कि जब समूचे देश में मीडिया के एक पक्षीय होने और पत्रकारो की विश्वसनीयता पर सवाल उठने शुरू हुये तो राज्य क्या शायद देश में पहली बार बेगूसराय जिला के उन युवा पत्रकारो ने इस विषय पर सेमिनार और नोटबंदी और जी एस टी जैसे गंभीर मुद्दो पर कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया. शायद ऐसा साहसिंक कदम बेगूसराय की माटी ही उठा सकती है. हुआ भी वही इस विमर्श सह कार्यशाला में देश के कई नामचीन पत्रकारो को आमंत्रित किया गया जिनकी पहचान देश विदेश में उन तीखे सवालो को पूछने को लेकर हुई जिसे आम जनता पसंद करती है.


बेगूसराय के दिनकर भवन ( टाउन हाल में ) आयोजित इस सेमिनार का उदघाटन युवा जिला पदाधिकारी राहुल कुमार ने केवल औपचारिकता का निर्वाह करते हुए नही किया बल्कि अभिव्यक्ति की आजादी जैसे गंभीर मुद्दो पर देश के वर्तमान हालात और गौरी लंकेश समेत कई पत्रकारो के विचारो को कुंद करने के लिये की जा रही उनकी हत्याओ पर भी सवाल उठाया . एक लंबे अर्से के बाद पहली बार एक आई ए एस अधिकारी के बेबाकीपन ने इस कार्यक्रम को नयी धार दी. जिसे आगे बढाने का काम कशिश न्यूज के संपादक संतोष सिंह ने अपने विचारो से किया और पत्रकारो को जमीन से जुड़ने और निडर होकर सच का साथ देने और खबरो के साथ कोई समझौता नही करने की नसीहत दी.


अपने संबोधन में ब्राड कास्ट एडिटर एशोसिएसन के महासचिव और न्यूज 24 के पूर्व रेजिडेन्ट एडिटर अजीत अंजुम जी ने बदलते परिवेश में सोशल मीडिया का प्रभाव पत्रकारो के बीच चुनौतिया राजनीतिक दलो के बीच प्रतिस्पर्धा में सोशल मीडिया का दुरूपयोग और राष्ट्रवाद के नाम पर कुछ पत्रकारो के सत्ता की दलाली पर गंभीर सवाल उठाये. जिसको और मजबूत करते हुए दूरदर्शन के वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु रंजन ने प्रेस की आजादी पर कई गंभीर सवाल उठाते हुए वर्तमान समय में सत्ता की चमचई को ही राष्टवाद करार दिया.भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य राजीव रंजन नाग आई आई एम सी के एसोसिएट प्रोफेसर आनंद प्रधान जैसे विद्वानो ने पत्रकारो को बदलते परिवेश में अपने कर्तव्य पालन करने की नसीहत दी.


लेकिन कार्यक्रम के अंतिम वक्ता और आई बी एन सेवन के मैनेजिंग एडिटर रह चुके आशुतोष ने जहा राष्ट्रवाद के मुद्दे पर आर एस एस और भाजपा को कठघरे में खडा किया तो वर्तमान समय में मीडिया घरानो में मेनेजमेंट का बोलबाला बतलाते हुए संपादक को उसकी कठपुतली करार दिया. हालांकि आशुतोष के विचारो पर कई लोगों ने आपत्ति भी जतायी और हो सकता है कि कुछ लोग उससे सहमत ना हो. लेकिन शायद यह पत्रकार समाज ही है जो अपनी खामियो को सबके सामने स्वीकार करने की हिम्मत रखता है. कार्यक्रम का सफल संचालन रवीन्द्र लाल दिवाकर ने भी बखूबी किया .


सबसे बड़ी बात यह रही कि अंत तक सभी पत्रकार और समाज के प्रबुद्ध जनो ने इस मेमिनार में जहा अपनी उपस्थिति बनाये रखी वही वक्ताओं का भाषण भी कही से उबाउ नही रहा. इस अवसर पर आयोजन के मुख्य कर्ता धर्ता कुमार भवेश , रीतेश वर्मा , सौरभ , सुमित , महफूज रसीद , अनुज वर्मा निरंजन सिंहा समेत उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है जिसने इस कार्यक्रम को बखूबी मुकाम तक पहुंचाया. लंबे अर्से के बाद अपने पुराने पत्रकार मित्रो , श्यामाचरण मिश्र जी जैसे अग्रजो का सान्निध्य मिला इसके लिये भी आयोजन समिति को बधाई और इस उ्मीद के साथ कि यह जज्वा आगे भी बरकार रहे. एक बार फिर आप सबके जज्बे को सलाम.

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