पटना

बिहार के हर क्षेत्र में विशेष सहायता की होगी मांग: विजेंद्र यादव

Desk Editor
27 Sep 2021 2:14 PM GMT
बिहार के हर क्षेत्र में विशेष सहायता की होगी मांग: विजेंद्र यादव
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बिहार सरकार बीते कई सालों से राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रही है। मांग करते-करते 7 - 8 साल का समय बीत चुका है।मगर अब तक केंद्र सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया

कुमार कृष्णन, पटना : राज्य के योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मांगते-मांगते थक गये। अब हम इस मुद्दे को लेकर मांग करना ही नहीं चाहते हैं।

राज्य के योजना एवं विकास मंत्री बिजेन्द्र यादव ने आज पटना में पत्रकारों से बातचीत में केंद्र सरकार पर अपरोक्ष रूप से हमला बोला। एक सवाल का जबाव देते हुए उन्होंने कहा कि 'बिहार सरकार की तरफ से इसको लेकर कई बार बातें की गई। विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते-करते हमने कई साल बिता दिए। इसके लिए राज्य की तरफ से कमिटी का गठन किया, रिपोर्ट भी पेश की गयी, लेकिन सभी बातें बेनतीजा रहीं। अब हम कितनी बार इसको लेकर मांग करेंगे? लगातार 7-8 साल से सरकार मांग कर ही रही है। किसी चीज की मांग करने की भी एक सीमा होती है। अब कितने दिन इसको लेकर बैठे रहेंगे। अब हमने इस ओर सोचना छोड़ दिया है और हम अपना काम कर रहे हैं। हालांकि उन्होनें आगे कहा कि बिहार के हर क्षेत्र में विशेष सहायता की होगी मांग'।

बिहार की राजनीति की बात करें तो यह बात किसी से भी छुपी नहीं है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अनवरत विशेष राज्य के दर्जे की मांग केंद्र सरकार से करते रहे हैं। अगर सीधे तौर पर समझा जाए तो यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता तो उसे कई तरह के फायदे मिलते। इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण है – केन्द्रीय सहायता में बढ़ोतरी। केंद्र अपने अनेक योजनाओं को लागू करने के ऐवज में राज्यों को वित्तीय मदद देते हैं। मौजूदा समय में देश में 11 राज्यों को विशेष दर्जा मिला है। इनमें असम, नागालैंड, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल और उत्तराखंड शामिल हैं। हालांकि बिहार के लिए मामला अबतक खटाई में जाता ही नजर आ रहा है।

बिहार सरकार बीते कई सालों से राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रही है। मांग करते-करते 7 - 8 साल का समय बीत चुका है।मगर अब तक केंद्र सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इधर कई सालों से बिहार को स्पेशल स्टेटस देने की डिमांड करते-करते नीतीश सरकार थक चुकी है। लिहाजा थक-हारकर अब इस डिमांड से अपने आप को अलग कर लिया है।

इस बाबत केंद्र को कई बार राज्य की तरफ से याद दिलाने की कोशिश की गई। बिहार विधानमंडल से पास कराकर केंद्र को भेजा गया ।कई बार इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के समक्ष मांग रखी गई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

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