पटना

खतरें में है भारत का संविधान : प्रो० महेंद्र प्रताप राणा

Special Coverage News
6 Dec 2018 5:08 PM IST
खतरें में है  भारत का संविधान :  प्रो० महेंद्र प्रताप राणा
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बेगूसराय गांधी स्टेडियम में बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के 62 वाँ परिनिर्वाण दिवस पर बोले।

शिवानंद गिरी

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के 62 वाँ परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर बेगूसराय के गाँधी स्टेडियम के मैदान में एक विशाल जनसभा का आयोजन गुरुवार को किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित दिल्ली जेएनयू के प्रो०महेंद्र प्रताप राणा ,दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो०रत्नलाल व कर्मशील भारती के अलावा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विजय पासवान डॉक्टर संजीव भारती ,मंच संचालन कर रहे सह संयोजक गरीबदास समेत दर्जनों लोगों ने डॉ० बाबा साहेव भीमराव अंबेडकर के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस कार्यक्रम के पूर्व सभी सम्मानित अतिथियों को नेशनल हाईवे एनएच 31 से पूरे गाजे-बाजे के साथ खुली जीप से सभी अतिथियों को सैकड़ों की संख्या में युवा कार्यकर्ताओं ने मोटरसाइकिल व दर्जनों चार चक्के वाहन के साथ उन्हें गांधी स्टेडियम के मैदान तक लाया। कार्यक्रम में अच्छी खासी भीड़ लोगों के देखे गए। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विजय पासवान ने मंच के सामने बैठे दर्शक दीर्घा में सभी सम्मानित अतिथियों के अलावे बेगूसराय जिले के कोने-कोने से आए हुए सभी पुरुष ,महिलाएं व युवाओं का गर्मजोशी के साथ सबों का अभिनंदन करते हुए कहा कि बाबा साहेब डॉ० भीमराव अंबेडकर के संविधान की रक्षा करने के लिए हम सभी लोगों को एकजुट होकर एक बड़ी लड़ाई लड़नी होगी। तभी डॉ भीमराव अंबेडकर को सम्मान उन्हें मिलेगा।




कार्यक्रम को डॉ० संजीव भारती ने अपने में कहा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने संविधान निर्माण कर सभी को कानूनी रूप से समाज में सभी को जीने का बराबर अधिकार दिया था। लेकिन आज कुछ लोग जय भीम की जगह कुछ लोग जय राम का नारा लगाते हैं । कहा, कुछ लोग बोलते कुछ हैं।बाबा साहब ने कहा था संगठित बनो और तब मिलकर संघर्ष करो।

इस कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता दिल्ली जेएनयू के प्रोफेसर महेंद्र प्रसाद राणा ने कहा आज अपने देश का संविधान खतरे में है। मनुष्य मनोवृति के लागू करने की तैयारी कर रही है। इसलिए संविधान को बचाना ,भारत में लोक शाही को बचाना है और जब देश के नेता जिनको अध्यात्म करना हो ,भजन कीर्तन करना हो। वह जब मुख्यमंत्री और मंत्री बनेंगे तो अब 33 करोड़ देवी देवताओं की जाति को ढूंढने ही उन्हें होगी।

उन्होंने कहा पहले देवी, देवताओं की जाति का ढूंढ कर उनका आर्थिक ,सामाजिक जनगणना करा लें। उसके बाद तब मनुष्य की जाति को देखें।

डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के संविधान को बचाने के लिए उन्होंने घर में बैठकर नहीं बल्कि सड़क पर उतर कर संघर्ष करने की बातें कही।

इस सभा को दिल्ली विश्वविद्यालय से आए प्रोफेसर रतन लाल डिप्रेस एक्सप्रेस पत्रिका के संपादक कर्मशील भारती समेत दर्जनों लोगों ने संबोधित किया वहीं मंच संचालन गरीब दास ने की।

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