पटना

दूसरे पुलवामा हमले के बाद, जम्मू-कश्मीर पर उपेंद्र कुशवाहा ने पूछे केंद्र सरकार से दस सवाल!  

Special Coverage News
22 Jun 2019 5:23 PM IST
दूसरे पुलवामा हमले के बाद, जम्मू-कश्मीर पर उपेंद्र कुशवाहा ने पूछे केंद्र सरकार से दस सवाल!   
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क्या गृह मंत्री रालोसपा के इन दस सवालों का उपयुक्त जवाब देंगे, क्योंकि ये सवाल सिर्फ रालोसपा के नहीं देश के भी हैं.

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने हाल में पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद केंद्र सरकार से दस सवाल पूछे हैं. पार्टी ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर पर श्वेत-पत्र जारी कर राज्य में राज्यपाल शासन जल्द हटा कर चुनाव कराने की मांग भी की है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर कहा है कि पुलवामा हमले को लेकर जनता के कुछ सवाल हैं जिनके जवाब दिए जाने चाहिए. उपेंद्र कुशवाहा ने पूछा है कि फरवरी में हुए आतंकवादी हमले को लेकर जो तमाम सवाल हैं वे अनुत्तरित है, 17 जून को पुलवामा में उसी जगह फिर हमला हुआ और हमारे दो जवान शहीद हुए. उन्होंने पत्र में सवाल उठाया है कि आतंकी आदिल अहमद का वीडियो भी पुलवामा हमले के बाद हाथ लगा था जिसमें आतंकवाद की और घटनाओं को अंजाम देने की बात कही गई थी, लेकिन इस जानकारी के बाद भी और हमलों को अंजाम देने दिया गया उसी जगह पर और उसी शैली में. कुशवाहा ने सवाल उठाया कि एक हमले में चालीस जवान शहीद होते हैं तो उसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जाता है लेकिन दूसरे हमले में दो जवान मारे जाते हैं तो उसे हमले का नाकाम प्रयास बताया जाता है, तो केंद्र सरकार बताए कि हमले में कामयाब प्रयास के बाद ही जवानों का मारा जाना ही क्या इस देश में मुद्दा बनेगा.

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक के मुताबिक कुशवाहा ने पत्र में लिखा है कि फरवरी में पुलवामा में इस्तेमाल की गई विस्फोटकों की भारी खेप अपने आप में काउंटर इमरजेंसी और काउंटर-टेररिज्म पर बड़ा सवाल है. कुशवाहा ने सवाल किया है कि पुलवामा में विस्फोटकों की इतनी बड़ी खेप पहुंची कहां से और फरवरी में पुलवामा में हुआ फिदायीन हमला क्या सुरक्षा में बड़ी चूक नहीं थी और इस चूक के लिए आप किसे जिम्मेदार मान रहे हैं. कुशवाहा ने आतंकवादी समूहों में स्थानीय युवाओं के बड़ी तादाद में भर्ती होने पर भी चिंता जताई और सवाल किया कि क्या सुरक्षाबलों के पास ऐसा गुप्तचर तंत्र मौजूद है जो ऐसी नई भर्तियों की गतिविधियों का पता लगा सके.

कुशवाहा ने पत्र में जम्मू-कश्मीर की सियासी हालात पर भी चिंता जताई और कहा कि यह समझ से परे है कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा के चुनाव तो कराए गए लेकिन विधानसभा चुनाव टाल दिया गया. उन्होंने परिसीमन की केंद्र सरकार की योजना पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि राज्य के सियासी दलों की राय के बिना केंद्र सरकार इस तरह की योजना बना कर क्या साबित करना चाह रही है. उन्होंने कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर के हालात और खराब होंगे. उन्होंने केंद्र सरकार की इस योजना को लेकर सवाल किया कि परिसीमन की कवायद को कश्मीर में ही नहीं पूरे देश में शक की निगाह से देखा जा रहा है, क्योंकि परिसीमन का काम चुनाव आयोग का है राज्य सरकार का नहीं. कुशवाहा ने कहा कि क्योंकि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू है इसलिए आम धारणा बनी है कि भाजपा और उसके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राज्य के ध्रुवीकृत माहौल का राजनीतिक लाभ उठा कर जम्मू और कश्मीर के दो क्षेत्रों को एक-दूसरे के खिलाफ धार्मिक रूप से खड़ा करना चाह रही है. उन्होंने पूछा कि पहले से ही संकटग्रस्त राज्य में परिसीमन के बहाने सियासी हित साधने से पहले वहां के समाज में विश्वास बहाली या संवाद की कोई प्रक्रिया शुरू की गई है क्या. वहां के लोगों के परिसीमन की जरूरतों के मद्देनजर राजी करने की कोशिश की गई है क्या. रालोसपा के मुताबिक केंद्र सरकार की इस कोशिश को शत्रुतापूर्ण तरीके से ही देखा जाएगा क्योंकि अविश्वास की खाई बहुत गहरी है और पुलवामा जैसे हमलों में स्थानीय युवकों का फिदायीन बन कर निकलना इसी का नतीजा है. कुशवाहा ने सवाल उठाया कि अब केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में बिना सोचे-विचारे सियासी फायदे के लिए कदम उठा कर फिदायीनों की उगती फसल को खाद-पनी देने का काम नहीं कर रही है क्या.

रालोसपा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर संकटग्रस्त राज्य है. एक के बाद एक आतंकवादी हमले हो रहे हैं. जनता और फौज भी इन सवालों से दोचार हो रही है. जवाब सबको चाहिए. परिसीमन या राज्यपाल शासन किसी सवाल का जवाब नहीं हो सकता. कुशवाहा ने अमित शाह से जानना चाहा है कि क्या गृह मंत्री रालोसपा के इन दस सवालों का उपयुक्त जवाब देंगे, क्योंकि ये सवाल सिर्फ रालोसपा के नहीं देश के भी हैं. उन्होंने इस बात पर हैरत जताते हुए पूछा कि देश की जनता को यह बात समझ में नहीं आई कि गंभीर सुरक्षा हालात में लोकसभा के चुनाव कराए जा सकते थे तो विधानसभा के चुनाव क्यों नहीं कराए गए. कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार जितनी जल्द इन संदेहों को साफ करेगी, राज्य और देश के लिए उतना ही हितकर होगा. कुशवाहा ने पत्र में लिखा है कि सियासी विपक्ष होने के नाते हम मांग करते हैं कि केंद्र की एनडीए सरकार जम्मू-कश्मीर पर श्वेतपत्र जारी करे और तत्काल राज्यपाल शासन हटा कर लोकातांत्रिक चुनावों की प्रक्रिया को जल्द से जल्द बहाल करे.

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