पटना

जब पूर्व मंत्री बृज बिहारी को श्रीप्रकाश शुक्ला ने गोलियों से भून दिया, डर से दाह संस्कार में कोई नहीं आया तब आगे आये थे शहाबुद्दीन आगे

Shiv Kumar Mishra
24 May 2021 6:39 AM GMT
जब पूर्व मंत्री बृज बिहारी को श्रीप्रकाश शुक्ला ने गोलियों से भून दिया, डर से दाह संस्कार में कोई नहीं आया तब आगे आये थे शहाबुद्दीन आगे
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बिहार के कद्दावर नेता पूर्व सांसद शहाबुद्दीन साहब के इंतकाल के बाद उनके समर्थक और राजनीतिक जानकार उनके दौर के घटनाओं के बारे में सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं।

हालांकि उनके समर्थक और परिवार वाले न्यायिक जांच की मांग करते हैं कि शहाबुद्दीन साहब को एम्स में भर्ती ना करके दीनदयाल अस्पताल में क्यों भर्ती किया गया।

उनका आरोप है कि उनका करोना से मौत नहीं बल्कि मर्डर हुआ है आखिर इस आरोप में कितना सच्चाई है यह आने वाला वक्त या फिर कभी जांच हुआ तो बात सही सामने निकलकर आएगी।

बिहार के पूर्व मंत्री एवं विधायक रहे बृज बिहारी जी को जब श्री प्रकाश शुक्ला ने कड़ी सुरक्षा के बीच में गोलियों से भून दिया था तब माहौल इतना गर्म हो चुका था आम जनता की तो छोड़िए बड़े-बड़े विधायक और मंत्री के अंदर डर और खौफ का माहौल था, कोई भी नेता उनकी पत्नी के साथ खड़ा नहीं हुआ और दाह संस्कार के लिए पत्नी दर-दर भटकती रही और फिर गरीबों के मसीहा या मीडिया की नजर में बाहुबली बिहार के पूर्व सांसद डॉक्टर मोहम्मद शहाबुद्दीन सामने आए और उनका अंतिम संस्कार करवाया।

इस बात को बता रहे हैं साहिर अहमद जो अपने सोशल मीडिया पर उस दौर की घटना को लिखते हुए जिक्र किया।

जो आज शहाबुद्दीन साहब के इंतकाल के बाद उनके बेटे ओसामा शहाब के साथ खड़े नहीं हैं उनको बता दें के जब 13 जून 1998,को पूर्व मंत्री एंव विधायक रहे वृज बिहारी जी की श्रीप्रकाश शुक्ला द्वारा गोलियों से भुन कर पटना में दिन दहाड़े हत्या हो जाती है और फिर अगले ही दिन 14 जून को अजीत सरकार की हत्या हो जाती है तो तत्कालीन राबड़ी सरकार पुरी तरह घिर जाती है।

केन्द्र में अटल बिहारी जी की सरकार एंव बिहार गवर्नर रमेश भंडारी जी से बिहार सरकार को बर्खास्त करने की माँग ज़ोर पकड़े लगती है, चारों तरफ दहशत और भय इतना के कोई वृजबिहारी जी के मृत शरीर के साथ उनके दाह संस्कार में जाना नहीं चाहता। उनकी पत्नी रमा देवी जो सांसद थी मोतीहारी से वो सबसे गुहार लगाती हैं पर कोई नहीं जाता।

तब लालू जी अपने संकटमोचन शहाबुद्दीन साहब को, जो दिल्ली में थे, फ़ोन लगाते हैं और स्थिति से अवगत कराते हैं। फिर साहेब पटना आते हैं और वृजबिहारी जी की अंतिम यात्रा में शामिल हो कर दाहसंस्कार कराते हैं।

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