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क्या बीजेपी ने दिखाई नीतीश को औकात, अब नीतीश क्या करें?

क्या बीजेपी ने दिखाई नीतीश को औकात, अब नीतीश क्या करें?
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बिहार में लोकसभा की एक और विधानसभा की दो सीटों के लिये होने वाले उपचुनाव में नीतीश के जनता दल यूनाइटेड ने सभी सीटो को एनडीए के सहयोगियों के लिए छोड़ने का एलान किया है. पार्टी अब किसी भी सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगा.


जदयू ने अब यह घोषण की है , कि पार्टी उपचुनाव के तीनों सीटों के लिए अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी. बिहार में लोकसभा की एक और विधानसभा की दो सीटों पर अगले महीने उपचुनाव होने हैं. इस बात की घोषणा जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण ने की. इस एलान से भाजपा और एनडीए के अन्य घटक दलों को मनचाही मुराद मिल गयी है और इन तीनों सीटों पर अपनी उम्मीदवारी को लेकर वे निश्चिंत हो गये हैं.


राजनैतिक गलियारों में अफवाह है कि जदयू के इस उप चुनाव से खुद को दूर करने के सिवा कोई रास्ता नही बचा था. पार्टी के विधायक सरफराज आलम ने पार्टी छोड़कर राजद का दामन थाम लिया है. पार्टी को अन्य सीटो पर भी जीत मुश्किल दिख रही थी. वही भाजपा और सहयोगी दलों का भी दवाब था. इस वजह से नितीश ने अपनी पार्टी को उपचुनाव में ना लड़ने का एलान किया.


नीतीश कुमार की पार्टी के इस एलान से अब एनडीए में भाजपा दो सीटों जबकि रालोसपा एक सीट पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है. लेकिन मांझी की पार्टी हम को लेकर दावेदारी को लेकर पेंच फंसा हुआ है. मांझी ने तो सीट ना दिए जाने पर एनडीए छोड़ने की घोषणा भी कर दी है. उपचुनाव को लेकर विपक्षी महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा है कि अररिया और जहानाबाद सीट राजद ले ले. लेकिन हम भभुआ सीट पर अपना उम्मीदवार उतारना चाह रहे है.

इस पूरे घटना क्रम के बाद जदयू मुखिया नीतीश कुमार क्या खुद को असहाय नेता के तौर पर देखने को मजबूर है या समय के साथ समझौता किया है, देखते है कि चुनाव परिणाम अगली पठकथा कैसी लिखते है.

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