बिहार

ईमानदारी की मिसाल पेश किया प्रोफेसर,45 दिन नहीं पढ़ाए तो कॉलेज को लौटाए 23 लाख रुपए

Satyapal Singh Kaushik
6 July 2022 10:15 AM GMT
ईमानदारी की मिसाल पेश किया प्रोफेसर,45 दिन नहीं पढ़ाए तो कॉलेज को लौटाए 23 लाख रुपए
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मुजफ्फरपुर के नीतीश्वर महाविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डा. (प्रो.) ललन कुमार ने विद्यार्थियों की संख्या नगण्य होने पर 32 महीने का वेतन लौटा दिया है। उन्होंने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलपति को पत्र के साथ वेतन का चेक भी भेजा है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के नीतीश्वर कॉलेज के प्रोफ़ेसर ने ईमानदारी की नई मिसाल पेश की है, आज जहां लोग आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंसते जा रहे हैं वहीं पर बिहार के इस प्रोफेसर ने अपनी सैलरी के 23 लाख रुपए लौटाकर लोगों का दिल जीत लिया है।

विद्यार्थियों की संख्या शून्य होने पर लौटाए रुपए

मुजफ्फरपुर के नीतीश्वर महाविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत प्रो. ललन कुमार ने विद्यार्थियों की संख्या नगण्य होने पर 32 महीने का वेतन लौटा दिया है। उन्होंने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलपति को पत्र के साथ वेतन का चेक भी भेजा है। साथ ही उन्होंने एलएस, आरडीएस, एमडीडीएम और पीजी विभाग में स्थानांतरण की इच्छा जताई है।

कॉलेज में 2019 से हैं पदस्थापित,जानिए उन्होंने पत्र में क्या लिखा है

उन्होंने कुलपति को संबोधित पत्र में लिखा है कि वे 25 सितंबर, 2019 से नीतीश्वर महाविद्यालय में कार्यरत हैं। पढ़ाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन स्नातक हिंदी विभाग में 131 विद्यार्थी होने के बावजूद एक भी नहीं आते। कक्षा में विद्यार्थियों के नहीं होने से यहां काम करना मेरे लिए अपनी अकादमिक मृत्यु के समान है। मैं चाहकर भी अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहा। इन स्थितियों में वेतन की राशि स्वीकार करना मेरे लिए अनैतिक है। इसके पूर्व कई बार अंतर महाविद्यालय स्थानांतरण के लिए आवेदन दिया, लेकिन कुलपति ने गंभीरता से नहीं लिया। ऐसी परिस्थिति में अपने कार्य के प्रति न्याय नहीं कर पा रहा। अंतरात्मा की आवाज को मानते हुए अपनी नियुक्ति की तिथि 25 सितंबर, 2019 से मई 2022 की प्राप्त संपूर्ण वेतन की राशि 23 लाख 82 हजार 228 रुपये विश्वविद्यालय को समर्पित करना चाहता हूं।

इस पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक भेजी है

उन्होंने कुलपति के अलावा कुलाधिपति, मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, वित्त विभाग, उच्च न्यायालय, पटना (जनहित याचिका के रूप में), अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली, शिक्षा मंत्री, भारत सरकार, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और राष्ट्रपति आदि पत्र की कापी भेजी है।

जानिए कहां के रहने वाले हैं प्रोफेसर ललन कुमार

प्रो. ललन कुमार वैशाली जिले के शीतल भकुरहर गांव निवासी किसान श्रवण सिंह के पुत्र हैं। बीपीएससी में इनकी 15वीं रैंक थी। दिल्ली विश्वविद्यालय के द हिंदू कालेज से 2011 में स्नातक प्रथम श्रेणी में पास की। उस समय एकेडमिक एक्सीलेंट अवार्ड से पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने पुरस्कृत किया था। जेएनयू से उन्होंनेएमए किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल के बाद नेट जेआरएफ मिला। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय में मेरिट नहीं लेनदेन के आधार पर कालेज तय किया जाता है। बीपीएससी से आए कम रैंक वाले को पीजी विभाग दिया गया। उससे भी कम 34वीं रैंक वाले को पीजी विभाग में भेजा गया। उन्होंने कहा कि अगर मुझे उच्च शैक्षणिक संस्थान नहीं दिया जाता है तो कार्य से मुक्त कर दिया जाए। वहीं इस संबंध में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति हनुमान पांडेय ने कहा कि डा. ललन कुमार का पत्र अभी मुझे नहीं मिला है। हो सकता है, उनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ हो इसलिए पीजी या एलएस कालेज में आने का प्रयास कर रहे हैं। सभी पीजी विभागों में चार सीनियर लोगों को पदस्थापित किया जाएगा। लेनदेन की बात बेबुनियाद है।


Satyapal Singh Kaushik

Satyapal Singh Kaushik

न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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