बिहार

नीतीश कुमार के अंतिम चुनाव के ऐलान पर बोले तेजस्वी का बड़ा बयान, 'उनसे बिहार संभल नहीं रहा'

Arun Mishra
5 Nov 2020 1:40 PM GMT
नीतीश कुमार के अंतिम चुनाव के ऐलान पर बोले तेजस्वी का बड़ा बयान, उनसे बिहार संभल नहीं रहा
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अंतिम चुनाव के ऐलान के बाद महागठबंधन की तरफ से सीएम कैंडिडेट और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि मेरी बात सच साबित हो गई। एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं जो बात पहले से कहता रहा हूं कि नीतीश कुमार जी थक चुके हैं, उनसे बिहार संभल नहीं रहा है। वो जमीनी हकीकत को पहचान नहीं पाए और जब उन्हें अहसास हुआ तो उन्होंने संन्यास लेने की घोषणा कर दी।



रैली में यह बोले नीतीश :

गुरुवार को पूर्णिया की रैली में सीएम नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि मौजूदा चुनाव उनका आखिरी चुनाव है। नीतीश कुमार ने धमदाहा विधानसभा में आखिरी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह मेरा आखिरी चुनाव है। अंत भला तो सब भला। इसके बाद नीतीश ने लोगों से एनडीए उम्‍मीदवार को वोट देने की अपील की। नीतीश की इस भावुक अपील के बाद बिहार में पूछा जाने लगा कि क्‍या नीतीश को एक आखिरी मौका मिलेगा। नीतीश की इस अपील को उनके ब्रह्मास्‍त्र के तौर पर देखा जा रहा है।

ऐसे हुई राजनीतिक सफर की शुरुआत

नीतीश के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1977 में हुई थी। इस साल नीतीश ने जनता पार्टी के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। साल 1985 को नीतीश बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। इस बीच साल 1987 को नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बने। 1989 को नीतीश कुमार को जनता दल का महासचिव बना दिया गया। साल 1989 नीतीश के राजनीतिक करियर के लिए काफी अहम था। इस साल नीतीश 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए। लोकसभा के लिए ये नीतीश का पहला कार्यकाल था। इसके बाद साल 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे।

साल 1991 में दसवीं लोकसभा का चुनाव हुए नीतीश एक बार फिर से संसद में पहुंचे। इसी साल नीतिश कुमार जनता दल के महासचिव बने और संसद में जनता दल के उपनेता भी बने। करीब दो साल बाद 1993 को नीतीश को कृषि समित का चेयरमैन बनाया गया। एक बार फिर से आम चुनाव ने दस्तक दी। साल 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए। नीतीश साल 1996-98 तक रक्षा समिति के सदस्य भी रहे। साल 1998 ने नीतीश फिर से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1998-99 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेलवे मंत्री भी रहे।

एक बार फिर चुनाव हुए साल 1999 में नीतीश कुमार 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए। इस साल नीतीश कुमार केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे। साल 2000 नीतीश के राजनीतिक करियर का सबसे अहम मोड़ था। इस साल नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनका कार्यकाल 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक चला। साल 2000 में नीतीश एक बार फिर से केंद्रीय कृषि मंत्री रहे। साल 2001 में नीतीश को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। साल 2001 से 2004 तक नीतीश केंद्रीय रेलमंत्री रहे। साल 2002 के गुजरात दंगे भी नीतीश कुमार के कार्यकाल के दौरान हुए थे। साल 2004 में नीतीश 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए। साल 2005 में नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने। बतौर 31वें मुख्यमंत्री नीतीश का ये कार्यकाल 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक चला। 2010 में भी उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन कार्यकाल के पूरा होने के पहले ही 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार का जिम्मा लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्‍यमंत्री पद का कार्यभार दिया था। 22 फरवरी 2015 को उन्होंने एक बार फिर बिहार की कमान संभाली और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राजग की चुनौती को मुंहतोड़ जवाब देते हुए बिहार की सत्ता पर काबिज हुए और महागठबंधन की सरकार बनाई। हालांकि 18 महीने बाद ही राजद से उनका मोहभंग हो गया और यह गठबंधन टूट गया। इसके बाद नीतीश ने एक बार फिर भाजपा की मदद से एनडीए में शामिल होकर बिहार में अपनी सरकार बनाई।

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