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छोटी बचत ब्याज दरों में होगी कटौती : जेटली

Special News Coverage
5 Dec 2015 2:15 PM IST
Finance Minister Arun Jaitley


नई दिल्ली : सरकार छोटी बचत पर ब्याज दरों को घटाने में सतर्कता बरतेगी। वह सेवानिवृत्त कर्मचारियों जैसे कमजोर वर्ग के हितों की सुरक्षा करना चाहती है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यह कहते हुए भरोसा जताया कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से राजकोषीय घाटे के लक्ष्य प्रभावित नहीं होंगे।

यहां एक कार्यक्रम में पहुंचे जेटली ने कहा कि सरकार पेट्रोल और डीजल पर सेस में की गई तीन गुना बढ़ोतरी का उपयोग राजमार्ग जैसी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में कर रही है। हालांकि, वेतन और पेंशन पर खर्च बढऩे के कारण सामाजिक क्षेत्र की बड़ी स्कीमों के लिए धन की व्यवस्था करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसका उदाहरण देते हुए वह बोले कि बीते साल सुकन्या स्कीम शुरू की गई।

एक साल बाद तुरंत यदि ब्याज दरों को उल्लेखनीय रूप से घटाएं तो राजनीतिक रूप से यह बहुत समझदारी वाला कदम नहीं होगा। लिहाजा, आपको बहुत सतर्कतापूर्वक इस दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। छोटी स्कीमों पर बड़ी संख्या में लोग निर्भर हैं। लिहाजा, निर्वाचित सरकार होने के नाते हमें इसे आर्थिक सिद्धांतों से ऊपर जाकर राजनीतिक व्यावहारिकता के साथ देखना होगा।

ज्यादातर छोटी बचत स्कीमों पर 8.75 फीसद का ब्याज मिल रहा है। इसके मुकाबले एसबीआई का एफडी पर साढ़े सात फीसद ब्याज है। रेपो रेट में आरबीआई की ओर से सवा फीसद कटौती को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए यदि उधारी दर को नीचे लाना है तो बैंक जमा दर को भी घटाना होगा। जेटली ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का असर बस दो से तीन वर्षों तक रहेगा। सिफारिशों को एक जनवरी से लागू किया जाना है। इससे सरकार पर सालाना 1.02 लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा।

सरकार को भरोसा है कि वह व्यय को चालू वित्त वर्ष के लिए 3.9 फीसद के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के भीतर रखेगी। जेटली ने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर साढ़े सात फीसद रहेगी। आने वाले वर्षों में यह और बढ़ेगी। नतीजतन सरकार के पास ज्यादा राजस्व आएगा।

जब जेटली से पूछा गया कि क्या संविधान में जीएसटी दर की अधिकतम सीमा का उल्लेख संभव है, तो उन्होंने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले और नशीले उत्पादों पर अधिक कर लगाया जाना उचित होगा। यदि कांग्रेस का सुझाव मान कर संविधान में इन सभी उत्पादों पर पहले से ही 18 फीसद सीमा तय कर दी गई तो यह ऐसे उत्पादों पर रियायत देने के समान होगा। सरकार ऐसा नहीं करना चाहती है।
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