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इन 10 सरकारी बैंकों के विलय के बाद आपको करने होंगे ये 6 काम
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को कई बैंकों के मर्जर का ऐलान किया. साल 2017 में पब्लिक सेक्टर के 27 बैंक थे, इस मर्जर के बाद उनकी संख्या घटकर अब 12 रह जाएगी. अब सवाल ये है कि बैंकों के मर्जर से आम लोगों पर क्या फर्क पड़ेगा. तो बता दें कि मर्जर का असर हर उस शख्स पर पड़ सकता है, जिसका इन बैंकों में सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट है.
बैंकों के विलय के बाद बैंकों की कई ब्रांच बंद होंगी और नई ब्रांच खुलेंगी. मर्जर से बैंकों के विलय से खाताधारकों काम बढ़ सकता है. तो चलिए आपको बताते हैं कि बैंकों के मर्जर का आप पर क्या असर पड़ सकता है.
अकाउंट नंबर, कस्टमर ID में बदलाव
आपको एक नया अकाउंट नंबर और कस्टमर आईडी मिल सकता है. अगर आपका ईमेल एड्रेस और मोबाइल नंबर बैंक में अपडेटेड हैं तो आपको बदलाव के बारे में तुरंत जानकारी मिल जाएगी. इसके अलावा आपके सभी अकाउंट एक ID के साथ टैग होंगे.
बदलनी होगी चेक बुक
आपको अपनी चेकबुक भी बदलनी होगी. हालांकि आपकी मौजूदा चेकबुक कुछ समय के लिए मान्य रहेगी, लेकिन अन्त में आपको उस बैंक का चेक लेना पड़ेगा, जिसमें आपके बैंक का विलय हुआ है.
बंद हो सकती है लोकल ब्रांच
मर्जर के बाद कुछ ब्रांच भी बंद हो सकती हैं और कस्टमर्स को नए ब्रांच में जाना पड़ सकता है.
थर्ड पार्टीज के साथ अपडेट करनी होगी डिटेल
बैंकों के मर्जर के बाद कस्टमर्स को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड अलॉट किए जाते हैं तो उन्हें इन डीटेल्स को थर्ड पार्टी एंटिटीज के साथ अपडेट करना होगा. इनमें इनकम टैक्ट डिपार्टमेंट, इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड और नैशनल पेंशन सिस्टम शामिल हैं.
नए ECS, SIP निर्देश
मर्जर के बाद एंटिटी को सभी इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ECS) निर्देशों और पोस्ट डेटेड चेक को क्लियर करना होगा. इसके अलावा ऑटो डेबिट या सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के लिए नया SIP रजिस्ट्रेशन और इंस्ट्रक्शन फॉर्म भरना पड़ सकता है. ईएमआई के लिए भी यहीं करना होगा.
डिपॉजिट रेट में नहीं होगा बदलाव
ऑफिशल मर्जर की तारीख को मर्जर करने वाले बैंक की ओर से ऑफर किया जाने वाला फिक्स्ड डिपॉजिट रेट लागू होगा. हालांकि मौजूदा फिक्सड डिपॉजिट पर मैच्योरिटी तक पहले से तय इंट्रेस्ट मिलेगा. इसी तरह लोन पर इंटरेस्ट रेट भी वास्तविक अग्रीमेंट के अनुसार जारी रहेगा.