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बजट में हुए फैसले से 2 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकती है पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें, जानें क्यों और कब

Arun Mishra
2 Feb 2022 6:05 AM GMT
बजट में हुए फैसले से 2 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकती है पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें, जानें क्यों और कब
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कच्चे तेल का भाव 90 डॉलर प्रति बैरल के पार...!!

इथेनॉल या बायोडीजल के मिश्रण के बगैर बिकने वाले पेट्रोलियम उत्पादों (Petroleum Products) पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (Excise Duty) लगाने के बजट (Budget 2022) प्रस्ताव से देश के अधिकांश हिस्सों में डीजल (Diesel) के दाम 1 अक्टूबर, 2022 से 2 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं जबकि पूर्वोत्तर जैसे कुछ क्षेत्रों में भी पेट्रोल (Petrol) की कीमतें बढ़ सकती हैं. फिलहाल गन्ने या अन्य खाद्यान्न से निकाले गए इथेनॉल (Ethanol) को 10 फीसदी के अनुपात में ही पेट्रोल में मिलाया जाता है. तेल के आयात पर निर्भरता को कम करने और किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत मुहैया कराने के लिए पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण की अनुमति दी गई है.

देश के करीब 75-80 फीसदी हिस्से में इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति की जाती है जबकि अन्य हिस्सों में लॉजिस्टिक समस्याओं के चलते इसकी आपूर्ति प्रभावित है. दूसरी तरफ डीजल में मिश्रण के लिए गैर-खाद्य तिलहनों से निकाले गए बायोडीजल का इस्तेमाल किया जाता है. देश में कृषि एवं परिवहन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर डीजल का ही इस्तेमाल होता है.

2 रुपये तक महंगे हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल

इस लिहाज से वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण का बजट 2022-23 (Budget 2022) में बिना मिश्रण वाले ईंधनों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने का कदम पेट्रोल एवं डीजल के दाम बढ़ा सकता है.

सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि एक अक्टूबर, 2022 से बिना 'मिलावट' वाले ईंधनों पर 2 रुपये प्रति लीटर की दर से अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगेगा.

पेट्रोलियम उद्योग से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सरकार का यह फैसला एक तरफ तो तेल कंपनियों को पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण के लिए प्रोत्साहित करेगा.

वहीं बायोडीजल की खरीद के लिए आठ महीनों में ढांचा खड़ा कर पाने की संभावना कम है. ऐसी स्थिति में पूर्वोत्तर राज्यों जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में पेट्रोल एवं डीजल के दाम 1 अक्टूबर, 2022 से बढ़ सकते हैं.

इसकी वजह यह है कि वहां पर एथनॉल या बायोडीजल मिश्रण वाले ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाएगी. बता दें कि डीजल की बिक्री तो देश के अधिकांश इलाकों में बिना किसी मिश्रण के ही होती है.

कच्चे तेल का भाव 90 डॉलर प्रति बैरल के पार

कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल से अधिक होने बावजूद तेल कंपनियों ने 90 दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की है. इसलिए जब यह अतिरिक्त शुल्क लागू होता है, तो आने वाले दिनों में नॉन-ब्लेंडेड फ्यूल की कीमतों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है.

इस साल जनवरी के महीने में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है और ब्रेंट क्रूड 77.78 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 91.21 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया. इस दौरान इसमें 17.26 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव की वजह से देखने को मिली है. फिलहाल रूस और यूक्रेन की सेनाएं आमने सामने हैं वहीं यूरोप और अमेरिका यूक्रेन की सहायता कर रहे हैं इससे आशंका बन गई है कि रूस यूरोपीय देशों के लिये तेल की सप्लाई बाधित कर सकता है. रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है.

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