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क्या आप जानते है कि आपके बिजली के बिल पिछले सालों की तुलना में क्यों अधिक आ रहे हैं?

क्या आप जानते है कि आपके बिजली के बिल पिछले सालों की तुलना में क्यों अधिक आ रहे हैं?
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बिजली बिल का रहस्यमय खुलासा
क्या आप जानते है कि आपके बिजली के बिल पिछले सालों की तुलना में क्यों अधिक आ रहे हैं इसका कारण यह है कि उत्तरी भारत के लगभग सभी राज्यों में बिजली की दरें महीने दर महीने बढ़ाए जाने का खेल खेला जा रहा है और यह खेल इसलिए खेला जा रहा है ताकि देश की पॉवर कम्पनिया दिवालिया न हो जाए. जब भी यह दावा किया जाता है कि भारतीय बैंको में बड़े पैमाने पर धनराशि एनपीए की जा रही है मोदी समर्थकों का तर्क होता हैं कि यह कर्ज 2014 से पहले का है और कर्ज यूपीए के समय ही दिया गया था जो अब डूब रहा है .लेकिन पॉवर सेक्टर में ऐसा नही है
भारत की पावर कम्पनियो को जनवरी 2014 से सितम्बर 2017 के बीच 3.79 लाख करोड से भी अधिक का कर्ज दिया गया है कुछ इसमें से कुछ कर्ज विदेशी बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने भी दिया है.
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक, जिसका एनपीए 1.86 लाख करोड़ रुपये है, उसने 56,000 करोड रुपये से भी अधिक इन कम्पनियों मे जनवरी 2014 से सितंबर 2017 के बीच लोन, बॉण्ड, व शेयर के रूप मे लगा दिए हैं.देश की निजी बैंके भी पीछे नही है देश सबसे बडी निजी आईसीआईसीआई बैंक ने भी 41,440 करोड रूपये कोयला-आधारित कम्पनियो पर लगाया है.
आश्चर्य की बात तो यह हैं कि सार्वजनिक बैंक अधिकतर वित्त लोन के रूप मे ही कर्ज या वित्त दे रहीं है, जबकि निजी बैंक पूंजी अधिकतर बॉण्ड या शेयर मे लगा रही है.यानी बैंक का कर्ज डूबेगा तो स्टेट बैंक और अन्य सार्वजनिक बैंको का कर्ज पूरी तरह से डूबेगा लेकिन निजी बैंक और अन्य वित्तिय संस्थान अपना पैसा आसानी से निकाल सकेंगे.
सितंबर 2017 तक अकेले 'अडानी पॉवर' पर कुल कर्ज 47,609.43 करोड था बैंको ने अपने कर्ज वसूलने के लिए ओर कर्ज दिए है जिससे यह रकम इतनी बढ़ गयी है.
भारत सरकार के बिजली मंत्री आरके सिंह ने पिछले दिनों कहा है कि 'एसबीआई ने अदानी और टाटा पावर को दिए लोन पर चिंता जताई है'. अब आप समझ सकते है कि सुब्रमण्यम स्वामी ने यह ट्वीट क्यो किया था "सार्वजनिक क्षेत्र में सबसे बड़े एनपीए बकाएदार गौतम अडाणी हैं. समय आ गया है कि इसके लिए उनकी जिम्मेदारी तय की जाए, नहीं तो जनहित याचिका दायर की जाएगी."
गिरीश मालवीय की कलम से
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