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चिकन से भी महंगा बिक रहा है अंडा, जानिए क्यों बढ़ गए दाम?

Ekta singh
20 Nov 2017 2:51 PM IST
चिकन से भी महंगा बिक रहा है अंडा, जानिए क्यों बढ़ गए दाम?
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सर्दी की दस्तक के साथ ही महंगाई के बोझ ने आम लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ दिया हैं.

नई दिल्ली: अंडे के रेट लगातार बढ़े हैं और अब हालात ये हैं कि लोग चिकन खाना ज्यादा पसन्द करेंगे. सर्दी की दस्तक के साथ ही महंगाई के बोझ ने आम लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ दिया हैं. अंडे के दाम इतने बढ़ गए कि चिकन की कीमत को भी पीछे छोड़ दिया हैं.

कुछ दिनों पहले तक जो अंडा 5 रुपए में मिल रहा था अब उसका दाम 7 रुपए हो गया हैं. पिछले छह महीनों में अंडे की कीमतों में यह बड़ा उछाल हैं.

नई दिल्ली के खन्ना मार्केट में सालों से अंडे का थोक में व्यापार कर रहे राजेश मल्होत्रा बताते हैं कि पिछले साल रेट काफी कम होने की वजह से पोल्ट्री वालों ने कम उत्पादन किया वो भी देर से. यही वजह है कि इस बार रेट पहली बार इतना ज्यादा हो गया.

वही पुणे में मुर्गी पालन केंद्रों पर 100 अंडों की क्रेट 585 रुपए में बेची जा रही है, जिससे रिटेल में अंडे के दाम 6.5-7.5 रुपए तक पहुंच गए हैं. वहीं, ब्रॉयलर के दाम 62 रुपए प्रति किलो हैं. इस लिहाज से देखें तो अंडा ज्यादा महंगा बिक रहा हैं.

राष्ट्रीय अंडे समन्वय समिति (एन.ई.सी.सी.) के मुताबिक अंडे की मांग बढ़ रही है इसलिए इसकी कीमत में 15 फीसदी की तेजी आई हैं. वहीं दिल्ली के गाज़ीपुर मुर्गा मंडी में चिकन का ये रेट है- ब्रायलर 85 रुपये किलो और तंदूरी 95 रुपये किलो, वहीं चिकन मीट 130 रुपये किलो बेचा जा रहा है. यानि चिकन अंडे से सस्ता पड़ रहा है. ऐसे में पब्लिक भी अंडे की अपेक्षा चिकन लेना ही सही समझ रही है.

बताया जा रहा हैं कि जब सब्जियां महंगी होती हैं, तो लोग अंडे खरीदने लगते हैं. यही वजह है जब अंडों की डिमांड बढ़ती है तो डिमांड बढ़ते ही कीमत भी बढ़ जाती हैं. पिछले काफी दिनों से टमाटर की कीमत में भी उछाल है जो कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं.

दूसरी बड़ी बात जो सामने आ रही हैं...

कर्नाटक और तमिलनाडु में सूखे के चलते मक्का की फसल पर असर पड़ा हैं. मक्का पोल्ट्री प्रोडक्शन के लिए सबसे जरूरी हैं. मक्का के दाम भी इन दिनों रिकॉर्ड 1900 प्रति क्विंटल पर हैं. चूंकि पोल्ट्री किसान कम प्राप्तियों और उच्च लागतों के बीच फंसे हैं. उनमें से कई ने अपने पक्षियों को समयपूर्व ही काट दिया, जिसका असर सीधे सप्लाई पर दिख रहा हैं.

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