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अब बिटकॉइन आपके खाते में एक रुपया भी नहीं जोड़ पायेगा. दरअसल रिजर्व बेंक ऑफ़ इंडिया ने बेंको के लिए एक समय सीमा तय की थी जो अब समाप्त हो गई है। ऐसे में जो क्रिप्टोकरंसी ट्रेडिंग से मालामाल होने का ख्वाब देख रहे थे उनके लिए जानना जरूरी है कि इसका क्या मतलब है।
क्रिप्टोकरंसी को लीगल करंसी बनाने के रास्ते बंद
अबतक कोई भी एक्सचेंज पर बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी को खरीद सकता था। इस प्रक्रिया में एक्सचेंज से लिंक्ड बैंक अकाउंट से पैसा ट्रांसफर करना पड़ता था और उसके मुताबिक बिटकॉइंस की खरीदारी होती थी। गुरुवार के बाद से अब यह संभव नहीं होगा। अब कुछ एक्सजेंच पीयर टू पीयर (P2P) बन जाएंगे, जहां आपको किसी साथी खरीदार से लिंक किया जाएगा, जिसके साथ आप बिटकॉइं खरीद या बेच सकते हैं। P2P ट्रेडिंग में अभी के हिसाब से आप केवल बिटकॉइन को किसी दूसरे क्रिप्टो के एवज में ही खरीद-बेच सकेंगे।
ब्लैक मार्केट: बिटकॉइन होल्डर्स को अब एक्सचेंज पर ही खरीदारों की तलाश करनी होगी। क्रिप्टो को रुपये या किसी लीगल करंसी में बदलने के लिए ब्लैक मार्केट का सहारा लेना पड़ेगा।
लोन नहीं मिलेगा: एक्सचेंज्स या क्रिप्टोकरंसी कंपनियों को अब बैंकों से लोन नहीं मिलेगा। यहां तक कि उन्हें बैंकों में कॉर्पोरेट अकाउंट भी खोलने की अनुमति नहीं होगी।
नए प्लेयर्स पर ज्यादा बोझ: यह सर्कुलर अनुभवी के मुकाबले नए बिटकॉइंस ट्रेडर्स को ज्यादा झटका देगा। अब अगर भारत में कोई बिटकॉइन इन्वेस्टर बनना चाहेगा तो उसे एक्सचेंज की बजाय पीयर्स से खरीदारी करनी होगी। संभवतः इसके लिए करंट एक्सचेंज पर प्रीमियम का भुगतान भी करना होगा जो एक बिटकॉइन के ट्रेड के लिए 4,30,000 रुपये से अधिक है।
वॉलिट का पैसा फंस जाएगा: जेबपे जैसे बिटकॉइन फर्म रुपये में इसकी कीमत को वॉलिट में रखने की सुविधा देते आए हैं। अगर इस पैसे को अबतक नहीं निकाला गया या कन्वर्ट नहीं किया गया तो यह फंस सकता है।
हालांकि इन सबके बावजूद यह भारत में क्रिप्टोकरंसी का अंत नहीं है। आरबीआई ने केवल बैंकों को क्रिप्टोकरंसी से रिश्ता रखने से रोका है, खुद क्रिप्टोकरंसी को बैन नहीं किया है। एक्सचेंज ट्रेडर्स के लिए Paypal के जरिए डॉलर से बिटकॉइन की ट्रेडिंग जैसे ऑप्शन दे सकते हैं, लेकिन इन सबसे इस प्रक्रिया की कीमत जरूर बढ़ जाएगी। ट्रेडर्स को डॉलर्स अमाउंट को बैंक में ट्रांसफर करने के लिए Paypal को कीमत अदा करनी पड़ेगी।