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बैंकों के भीतर ग़ुलामी....किसी जेपी दत्ता को बुलाओ...इनकी दास्तां पर फिल्म बनवाओ
रवीश कुमार
8 March 2018 12:43 PM IST

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यदि कोई कार्मिक बीमार होते हैं और चिकित्सा अवकाश में प्रस्थान करते हैं तो वे मुख्यालय में ही रहकर अपना इलाज करवाएं
" यदि कोई कार्मिक बीमार होते हैं और चिकित्सा अवकाश में प्रस्थान करते हैं तो वे मुख्यालय में ही रहकर अपना इलाज करवाएं और संबंधित कापी क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित करेंगे अन्यथा आपके चिकित्सा अवकाश को स्वीकृति नहीं दी जाएगी औऱ आपको अवैतनिक किया जाएगा"
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के आदेश का यह हिस्सा है। 5 मार्च को जारी हुआ है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी बैंकर को हार्ट अटैक हुआ तो वह ज़िला से बाहर नहीं जा सकता है। लीवर या किडनी में कुछ हुआ या दस्त ही आपात स्थिति में पहुंच गया तो वह ज़िला यानी मुख्यालय से बाहर नहीं जा सकता है।
क्या इस तरह के आदेश भी जारी होते हैं? क्या बैंक के आदेश प्रमुख ने ब्रांच के बगल में अस्पताल बनाकर दिया है? ऐसे आदेश के आधार पर ही आदेश प्रमुख को जेल भेज देना चाहिए। ब्रांच के कर्मचारी और अफसर कितनी अपमानित महसूस करते होंगे।
यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया का 8 सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाले ब्रांच के बारे में एक आदेश आया है। इन शाखाओं से तुरंत ही एयर कंडीशन, जनरेटर की सुविधा हटा लेने के आदेश दिए गए हैं। ब्रांच मैनेजर और डिप्टी मैनेजर की उपस्थिति लैंड लाइन से चेक की जाएगी। मोबाइल फोन पर भरोसा नहीं है।
इस तरह के आदेश पढ़कर ही बैंक की शाखाओं के लोग कितना अपमानित महसूस करते होंगे। आदेश में लिखा है कि ब्रांच मैनेजर और डिप्टी मैनेजर की सैलरी रोक दी जाए। मेडिकल बिल का भुगतान नहीं किया जाए। किसी को छुट्टी न दी जाए। ऑल इंडिया बैंक आफिसर एसोसिएशन AIBOA ने इसकी निंदा की है। मगर इन आदेशों को पढ़ कर देखिए, किसी की भक्ति कीजिए मगर ये तो आपके ही नागरिक हैं, रिश्तेदार हैं। सोचिए उन पर क्या बीत रही है।
आप जानते हैं कि 21 में से 11 सरकारी बैंक ऐसे हैं जिनका एन पी ए 6 प्रतिशत ज़्यादा हो गया है। ब्लैक सूट वाले उद्योगपति बैंक लूट गए हैं। इसलिए रिज़र्व बैंक ने यूनाइटेड बैंक को PROMPT CORRECTIVE ACTION में लगा रखा है। अगर ऐसी ही विकट स्थिति है तो सबसे पहले चेयरमैन और कार्यकारी निदेशकों की सैलरी और छुट्टी रोक दी जानी चाहिए। उनके कमरे से एयरकंडीशन निकलवा लेना चाहिए। 20 हज़ार कमाने वाले क्लर्क की सैलरी रोक कर क्या साबित करना चाहते हैं ?
"25 अप्रैल 2018 तक शाखा प्रमुखों और स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी जाती हैं। जिन्होंने मंज़ूरी के आवेदन भेजे हैं उनकी छुट्टी रद्द कर समझी जाए"
यह आदेश भी एक बैंक का है। बैंकों में मार्च का महीना मुश्किल होता है लेकिन इस तरह के आदेशों का एक संदर्भ है। शाखा के स्तर पर रोज़ बीमा और म्यूचुअल फंड बेचने का आदेश दिया जाता है। लोग लेना नहीं चाहते हैं, मैनेजर कब तक झूठ बोलकर किसी का बीमा कर देंगे। अटल पेंशन योजना का टारगेट हर दिन दिया जाता है ताकि सरकार अपनी वाहवाही कर सके।
इस योजना को कोई ख़ुद से लेने नहीं आता। बैंकर दबाव डालकर या झांसा देकर बिकवा देते हैं। मगर उनका कहना है कि दो तीन महीने के बाद पैसा देना बंद कर देता है। जो दो तीन महीना पैसा देता है उसे वापस लेने की प्रक्रिया बहुत मुश्किल है। बैंकर भी जब हेडक्वार्टर भेजते हैं तो ऐसे आवेदनों को अनदेखा कर दिया जाता है। लिहाज़ा एक ग़रीब किसान का दो तीन महीने का 500-1000 रुपया बीमा कंपनी के खाते में चला जाता है। लोग भी लुट रहे हैं और बैंकर भी लुट रहे हैं।
आज कल हर बैंक का अपना एक सॉफ्टवेयर होता है। इस सॉफ्टवेयर का किसी टेक्नॉलजी के एक्सपर्ट को अध्ययन करना चाहिए। इनमें कई ऐसे टूल हैं जो बैंक के मैनेजर पर तरह तरह के नियंत्रण रखते हैं और उन्हें मानसिक रूप से परेशान करते हैं। जैसे कल ओरियेंटल बैंक ऑफ कामर्स ने अपने सभी मैनेजरों को टारगेट भेजा और सिस्टम को फिक्स कर दिया। आम ज़ुबान में आप यूं समझे कि जब तक आप दस अटल पेंशन योजना नहीं बेचेंगे, सिस्टम में नहीं भरेंगे और अपने कंप्यूटर से लॉग आऊट ही नहीं हो सकते हैं।
लॉग आऊट नहीं होने पर आप घर नहीं जा सकते हैं। कल उस बैंक की देश भर में फैली कई शाखाओं में लोग रात के साढ़े आठ बजे तक बैठे रहे। बहुतों का टारगेट पूरा नहीं हुआ था और वो बंद कर घर नहीं जा सकते थे। जब तक टारगेट पूरा नहीं होगा तब तक वह कंप्यूटर स्क्रीन पर फ्लैश करता रहेगा। भयावह टार्चर है। इसे CSO LOP सिस्टम कहते हैं। CLOSE FOR SOL OPEARATON कई बार बैंक कई हफ्तों के लिए यह जारी कर देता है। कल रात को जब यह लॉक हटा तब जाकर बैंक के कर्मचारी घर जाने को तैयार हुए।
देना बैंक का भी ऐसा ही आदेश आया है। इन बैंकों की अपनी बीमा पालिसी है। मतलब बीमा कंपनी से करार है। बीमा कंपनियां एक नया रोज़गार नहीं दे रही बल्कि बैंक के मैनेजरों से ही अपना बीमा बिकवा रही हैं। आदेश में लिखा है कि 5 अटल पेंशन योजना बेचनी है और 2 चोलामंडलम मेडिक्लेम। टारगेट का हाल है कि जिनके सेविंग अकाउंट हैं उनके भी जनधन खाते खोले गए हैं ताकि वाहवाही लूटी जा सके। जिन राज्यों में कर्ज़ माफी का एलान होता है उन राज्यों में बैंकरों पर पहाड़ टूट पड़ता है।
एक बैंकर ने बताया कि किसान को कर्ज़ माफी के फार्म में 66 कॉलम भरने पड़ते हैं। बहुत जगहों से बैंकरों ने बताया कि बिना पात्रता और गारंटी के मुद्रा लोन बांटा जा रहा है। मुद्रा लोन दिलवाने के लिए राजनीतिक दबाव बहुत बढ़ गया है। पक्ष विपक्ष दोनों के सांसद विधायक दबाव डाल रहे हैं। कई बैंकरों ने कहा कि जल्दी ही मुद्रा लोन बैंकों को भीतर से बिठा देगा। मुद्रा लोन का एन पी ए भी दिखना शुरू हो जाएगा। कब तक खातों की हेराफेरी से इसे छिपाया जाएगा। कई शाखाओं में आज भी कैश की भयंकर कमी है जिसके कारण मैनेजर ग्राहकों से गाली सुन रहे हैं।
मैं बैंकों पर लगातार लिख रहा हूं। बैंकों के भीतर से आवाज़ के बाहर आने के रास्ते बंद थे। शोषण और अपमान इतना बढ़ गया है कि अब बैंकर लोकतंत्र की अदृश्य शक्तियों में बदल गए हैं। वो आवाज़ बाहर लाने के तरीके खोज रहे हैं। आप नागरिकों का फर्ज़ बनता है कि अपने बैंकरों की मदद करें। उनकी स्थिति किसान और मज़दूर से भी बेकार हो चुकी है। एक महिला ने लिखा है कि मेरी जिससे शादी होनी है, वो बैंकर है मगर टारगेट और ट्रांसफर के दबाव के कारण अवसाद में आ गया है।
बैंकों में ग़ुलामी सीरीज़ में कई बातें बार बार आती हैं। आप उससे न सोचें कि ये तकलीफ पुरानी है। देखी और सुनी हुई है। अगर आप ऐसी व्यवस्था को बर्दाश्त करेंगे तो याद रखिए इसी में आपको भी एक दिन जाना है। बैंकरों की हालत बहुत ख़राब है। उन्हें आपकी मदद की ज़रूरत है।
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