
पांच दिन में हो सकता है ये बेंक डिफाल्टर घोषित, क्या होगा लाखों ग्राहकों का हाल!

बैंकिंग सेक्टर में एक के बाद एक बड़ी घटनाएं हो रही हैं. अब पंजाब नेशनल बैंक पर डिफॉल्ट करने का संकट मंडराने लगा है. 31 मार्च तक उसे यूनियन बैंक को एलओयू के एवज में 1000 रुपए चुकाने हैं, अगर पीएनबी ऐसा नहीं कर पाता है तो बैंकिंग इतिहास में डिफॉल्ट करने वाला वह पहला बैंक बन जाएगा. इससे केंद्र सरकार के साथ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की भी जगहंसाई होगी. पीएनबी ने यूनियन बैंक के नाम से 1000 रुपए का एलओयू जारी किया था, जिसके मैच्योर होने की तारीख 31 मार्च है.
जानकारों का मानना है कि सरकार और आरबीआई को भारतीय बैंकिंग सेक्टर में इस तरह की असाधारण स्थिति को टालने के लिए दखल देना पड़ सकता है. पीएनबी द्वारा जारी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स के आधार पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने करीब 1000 करोड़ रुपये के लोन दिए थे.
अगर पीएनबी 31 मार्च तक यह रकम नहीं लौटाता है तो यूनियन बैंक को अपने बही-खाते में पीएनबी को डिफॉल्टर के रूप में दर्ज करना होगा. उसे उस लोन के लिए प्रोविजनिंग करनी होगी और अगर ऑडिटर्स ने जोर दिया तो इस रकम को एनपीए के रूप में भी दर्ज करना होगा. ऐसा होने पर पहली बार किसी भारतीय बैंक को टेक्निकल तौर पर डिफॉल्टर करार दिया जा सकता है. गौरतलब है कि फ्रॉड के कारण बैंकों को बकाया रकम के लिए तुरंत प्रोविजनिंग करनी है. ऐसे लोन को उसे एनपीए भी घोषित करना पड़ रहा है. ऐसे लोन को दूसरे फंसे हुए लोन से अलग तरीके से दर्ज करना होता है. गौरतलब है कि डिफॉल्ट के 90 दिनों बाद उस लोन पर एनपीए का टैग लग जाता है.
हालांकि बैंक के डिफॉल्ट करने का असर उसके कस्टमर पर नहीं होगा, यानी कस्टमर तय नियमों और प्रावधानों के दायरे में जैसे चाहें, जब चाहें और जितना चाहें, पैसे निकाल या जमा कर सकते हैं.




